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________________ (१४६) सर्व धर्म सम्मेलनोंके माध्यमसे जनजनमें पहुंचाने के पुण्य कार्यकी चेतनाके लिये हुआ था। कलकत्ता ६. मानक चन्द्र छावडा "जैन समाजके दीपक, मिशन के संस्थापक बाबू कामताप्रसाद. जीके आकस्मिक निधनसे समाजको बहुत गहरा आघात पहुंचा है। जिन मिशनको लेकर वह भागे चढे उसके लिये अपना जीवन उत्सर्ग कर दिया ऐसे महान पुरुषको श्रद्धाजलि हम किन शब्दों में अपित करें, यह हमें स्वयं नहीं समझ आता। जिस मिशन को उन्होंने आगे बढाया उसे हम भी तन, मन, धनसे आगे बढ़ाने में अपना सहयोग देते हैं तब ही उनकी आत्माको सच्ची शांति हम प्रदान कर सकते है।" -राजेन्द्रकुमार जैन एडवोकेट __बासोदा (मसा प्र०) " अभी तीन मास पूर्व ही हम लोगोंके साथ अल्प भ्रमयके लिये सम्पर्क हुआ था इतने थोड़े समयमें मैंने देखा कि वे वास्तबमें धार्मिक विचार के एवं शान्त तथा सरल स्वभावी थे। इसके अतिरिक्त उनमें और भी बहुतसे गुण एवं विशेषताएं थीं। __आज समाजका वह नररत्न उठ गया है, जिसकी पूर्ति होना अति असम्भव है प्रतीत होती है। बाबूजी सेवा भावी थे, सेवा रूपी साधनाके कठोर मार्गपर अविरल गतिसे चलते रहे, मागमें मुसीबतें आयीं किन्तु उन्होंने उसका सामना किया ! बाबूजी मरनेके पश्चात भी अमर हैं क्योंकि मरनेके पश्चात् जिसकी कीर्ति संसार में रहती है वह मानव जिन्दा ही है।" श्री जैन जूनियर हाईग्कूल लक्ष्मीचन्द्र जैन 'विशारद' देवबन्द सहारनपुर) प्रधानाध्यापक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003978
Book TitleKamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnarayan Saxena
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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