________________
( १४५ )
66
हाय ! यह क्या हो गया ? ऐसा लगा जैसे पानोंके नीचे हो पृथ्वी खिसक रही हो, हृदय पर अझ चोट लगो सिर चकरा गया, आँखों से आंसू निकलने लगे... बाबू जोकी सौम्यमूर्ति आँखो के आगे आ गयी ।... जिस त्याग और तपसे जैन जगतकी सेना की है, समाज शायद ही ऋण चुका सकेगा। किसी अन्य देश में होते या ईसाई धर्मके प्रचारक होते तो देवताकी भांति पूजा होती । पूज्य बाबूजी जैन जगतके प्रखर तेजस्वी मार्तण्ड थे, जिनके विशिष्ट गुणोंकी दिव्य रश्मियों में जैन जगत आलोकित होता रहा | हाय ? अब वह अस्त हो गया ।
...
"
ऋषभदेव
मार्तण्ड
विश्वके अद्वितीय विद्वान
बाबूजी जैन समाज के सर्वमान्य श्रद्धास्पद तो थे ही, साथ ही विश्वके अद्वितीय विद्वानों में से भी एक थे। जिन्होंने एक मर्तबा भी बाबूजी के लेख पढ़े हैं, उनके हृदयमें बाबूजीकी अमिट विद्वत्ताकी छाप अवश्य घर कर गयी ।"
राघौगढ़, ( गुना )
रावत ऋषभलाल 'आदीश'
★
साहित्यको
मेरे प्यारे जैन धर्मके एक सच्चे निस्वार्थ भावी प्रचारक कर्मठ कार्यकर्ता और जैन प्रचलित करनेवालें इस नर पंगबको हमारे बीच अब नहीं देखकर एक बहुत बढो कमी महसूस हो रही है। ... बाबूजीका जन्म जैन साहित्य के प्रसार, जैन सिद्धान्त प्रसार और तीर्थकरों की बाणोका निनाद जन जन तक भास्कर, बीर, जैन सिद्धान्त पत्रिका, अहिंसा वाणी और दी बॉयस ऑफ अहिंसा तथा छोटे छोटे गागर में बागर भरनेवाले ट्रेक्टों बड़े बड़े अंकों और पुस्तकों अहिंसा सम्मेलनों
१०
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org