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पित विहीनोंके पिता मुझ जैसे अनेकों पितृ बिहीनोंके वे पिता थे, किस प्रकार उन्होंने मुझे निराशाके क्षणों में उत्साहित प्रेरित कर साहस बंधाया था। उनकी स्मृति में मैं जी खोडकर एकांत में बैठकर रोना चाहता हूं मैं सोचता हूं कि उनके बिना मैं कैसे रहूंगा? लेकिन रोने कलपनेसे सम्भवतः उनको महान आत्माको ठेस लगेगी। अतः अब तो साहस बटोरकर उनके आदशों एवं कार्योंको आगे बढ़ाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आरा
प्रो० राजाराम जैन
अप्रकाशित घटना स्व० कामताप्रसादजी ज्ञानपीठ लेखक परिवार के सदस्य थे हो, जैन समाजके कर्मठ कार्यकर्ता और जैन संस्कृति के एक निष्ठ प्रचारक थे। वाबूजी नहीं रहे, यह समाचार भारतमें ही नहीं विदेशों में भी अप्रकाशित घटना सा सुना जावेगा । भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
गोकुठचन्द्र आचार्य
हमारी समाजका जवाहर पूज्य बाबूजी समाजका पूग बिदेशी प्रचार कार्य ही नहीं संभालते थे, अपितु समाजके अलावा जैन सिद्धांत और अहिंसाके प्रचारमें वे शिरोमणि पुरुष थे।
राजेन्द्रकुमार जैन,
एम. ए. एक एल. बी.
विदिशा,
"डॉ० कामताप्रसाद भारतीय जैन समाजके कर्मठ कार्यकर्ता. समाज सुधारक एवं जैनधर्म तथा संस्कृतिके महान विद्वान थे।
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