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मेरठ,
(१४३) अपनी बहुमुखी प्रतिभा एवं लेखनीके द्वारा हिन्दी साहित्यके नवरत्नोंसे विभूषित किया।
सुरेन्द्रकुमार जैन,
बी० कॉम०, एल एल० बी० उनका श्रम, धर्मसेवाकी लगन तथा कार्यकी क्षमता अद्भुत थी। जैनधर्मको विश्वमें प्रभावनाके क्षेत्रमें उनका प्रयत्न परिश्रम तथा अध्यवसाय अतुलनीय रहा है। जीवनभर जिस भाग्यशाली व्यक्तिने श्रेष्ठ संस्कृति और धमकी उच्च सेवा की उस महानात्माके पदचिह्नों पर चलने का आपको पुण्य संकल्प करना चाहिए । सिवनी ( म०प्र०) सुमेरचन्द्र दिवाकर न्यायतीर्थ शास्त्री,
बी० ए० एल० एल० बी०
उन्होने जैन समाज व जैन दर्शनकी जो सेवाकी वह अद्वितीय एवं प्रेरणास्पद है। टोंक (राजस्थान)
भागचन्द्र जैन एम० ए० एल० एल० बी०
बाबूजीने जैन साहित्यकी रचना और जैन धर्मके प्रचार के लिये जो विश्वव्यापी कार्य किये हैं, निःसन्देह वे उनके अमर स्तम्भ हैं, जिन्हें आन्धी और तूफान भी कभी नहीं गिरा सकते । शामली (उ० प्र०)
सुलतानसिंह जैन एम० ए० (हिन्दी-राजनीति विज्ञान) सदस्य राज्य स्काउट परिषद उ०प्र०
पाबूजी जैन जाति शिरोमणि, समाजसेवी एवं उच्च कोटिके विद्वान थे। उन्होने समस्त विश्वको भारतीय संस्कृतिके सार तत्व
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