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________________ ( १४०) .. किन शब्दोंसे दिवंगत आत्माकी उदारता पर प्रकाश किरणे डालें यही एक चिन्तन है...... जिनके बात्सल्य और प्रेरणाओंसे जन समुदाय "अहिंसा पर श्रद्धा रखता आया। अब समाजके हित चिन्तकोंके चरण डगमगाने लगे हैं। सीमेन्ट फेक्टरी, सवाई माधौपुर वीरेन्द्रकुमार बन्धु समाजने और विशेषतया मुझ जैसे बहुतोंने एक ऐसे रत्नसे विछोह पाया है जो अमूल्य था और जैसा शायद ही अपने जीवनमें पासके......सब ही वस्तुतः अनाथ हो गये-एक छाया उठ गई परन्तु धीरज की छायामें सबको हो सोना पड़ता है। लखनऊ कामताप्रसाद जैन आप मेरे करीब २५-३० वर्ष पुराने मित्र थे। आप इति. हासके माने हुये विद्वान थे। आप जैनधर्मके एक सच्चे कार्यकर्ता, लेखक व पंडित थे। ललितपुर विशनचंद्र जैन आँवरसियर __ भाई कामताप्रसादजी श्री वीरभगवान के सच्चे उपासक थे। उनका जीवन मादा और उदार था। उन्होंने संसारभर में जैनत्वका प्रचार ऐसी सच्ची लगन और भक्ति तथा अपूर्व ढंगसे किया जो सदाके लिये अमर रहेगा। और जैन समाज ही नहीं किन्तु -सारा संसार उनकी सेवा तथा कार्योंके लिये ऋणी रहेगा। रोहतक लालचन्द्र जैन एडवोकेट होंने अखिल भारतीय जैन मिशनके लिये जो कुछ भी किया है, उन कार्योको हम भुला नहीं सकते। उनकी जैनसमाज For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003978
Book TitleKamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnarayan Saxena
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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