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(४) जन्म और परिचय भारतवर्ष सृष्टिके प्रारम्भसे ही जगतगुरु रहा है। जिन दिनोंमें पश्चिमी देश प्रारम्भिक स्थिति में थे तब भारत अपने
आत्मबल और आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा मार्ग प्रदर्शन करता था, इसीलिये पुण्यभूमि और कर्मभूमि भारतवर्ष रहा है। महापुरुषों को जन्म देने वाली खान यह भारत माता सदै वसे पूजनोय
और वन्दनीय रही है। यहां तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्व विद्यालयों में विदेशी ज्ञान-पिपासु अध्ययन करनेके लिये आया करते थे। ईसा मसीहने स्वयं अपनी शिक्षाकी विद्यापीठ भारतको ही बनाया था।
यह वीर प्रसूति भारत माता कालीदास, व्याम, वाल्मीकि, चाणक्य, वशिष्ठ, विश्वामित्र जैसे ऋषियों, भगवान महावीर, बुद्ध जैसे संतों, दशरथ जनक और शोक जैसे राजाओं, शिवि, कर्ण, दधीचि और भामाशा जैसे दानियों, जगतगुरु शंकराचार्य, विवेकानंर, दयानंद, लाजपतराय, तिलक, गोखले और गांधी जैसे युगदृष्टाओं, नेताजी बोष, भगतसिह, आझाद और खुशेगम जैसे क्रांतिकारियों, डॉ. राजेन्द्रप्रसाद और पं० अचाहरलाल नेहरू जैसे नेताओं को जन्म देती रही है।
ऐसे ही ज्ञान गंगा प्रवाहित करनेवाले देशमें डॉ० कामलाप्रसादको जन्म दिनांक ३ मई सन् १९०१ में केम्पबेपुर (जो आज पाकिस्तान में है) हुआ था। इनके पिता पूज्य श्री लाला प्रागदासका निजी बैंकिंग फर्म था, जिसके कारण विभिन्न प्रान्तों में भी जाना पड़ता था। यह फर्म तत्कालीन सरकारी फौजसे सम्बन्धित था।
सबसे बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि बाबूजीने जहां जन्म लिया वहां उपासना तो दूरको बात रही जैन धर्मका नाम
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