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(१३५) जेन श्रमण संस्कृतिके विश्वव्यापी प्रचारक एवं प्रचारक, उद्भट विद्वान, सम्पन्न साहित्यकार, इतिहायके मर्मज्ञ, अहिंसाके अटल पुजारी, कर्मठ कार्यकर्ता, समन्बय करूणा और सरलताके अडिग तपस्वो आदि आदि गुणों के धारी परम पूज्य बाबूजो श्री कामताप्रसादजीका बाकस्मिक निधन सुनकर मैं ही नहीं यहांका जैन जैनेतर समाज शोक-पागरमें निमग्न हो गया। ......बाबूजीने सदैव समाजको दिया ही है।......समाज बाबूजीका सदेव हो ऋणी रहेगा। मिशनशाखा (पिडाबा)
कोमचन्द्र जैन संयोजक
बे-एक उबल रत्न थे......वे अत्यन्त उदार तथा सहृदय व्यक्ति थे। उनमें श्री ब्र. शीतलप्रसादजी जैसी कर्मठता तथा श्री बैरिस्टर चम्पतरायजी जैसी कठिनसे कठिन विषयका सरल शब्दों में कहने की क्षमता विद्यमान थी। जैन विद्वत्समिति-देही।
हीरालाल जैन कौशल, माहित्यरत्न-न्यायतीर्थ अध्यक्ष ।
उनके पत्रोंमें अपार प्रेम, भावना प्रकट रहती थी, लिखनेके लिए उत्साहित करते रहते थे। उन्होंने कभी अपने विरोधियोंकी भी निंदा नहीं की, यह एक उनका मुख्य गुण था। जब समाज अंधेरे में पड़ा हुआ था तब जागृतिका बिगुल बजानेवाले बाबूजी ही थे......आज समाज में से अच्छा इतिहास और जैन धर्मका मर्मज्ञ चला गया है ।......परन्तु जबतक संसारमें उनका साहित्या जीवित है तबतक वे भी जीवित ही हैं।
. गुणभद्र जैन । श्रीमद्राजचंद्र भाश्रम, अगास-(गुजरात)
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