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जैन मिशनको संचालित कर बड़ा भारी परोपकार किया ।
इन्द्रलाल शास्त्री - जयपुर, सम्पादक, अहिंसा |
श्रद्धेय बाबू कामताप्रसादजीके चार पढ़कर हृदयको असहनीय
विचित्र है उनके सामने हम मनुष्योंकी सत्ता ही क्या ? २०४, दरीबा, दिल्ली
असामयिक देहावसानका समाआघात पहुंचा। कर्मोंकी गति
उन्हें तो अभी जीना था और काम करना था, कितना काम उन्होंने अपने जीवन कालमें किया है पर यह तो उस कामकी भूमिका थी, जो उन्हें आगे करना था... मुझे विश्वास है कि उनके चले जानेले उनके काम रुकेंगे नहीं, बल्कि आप लोग रहें और अधिक उत्साह और परिश्रम से आगे बढ़ायेंगे वही उनका सर्वोत्तम श्राद्ध होगा । यशपाल जैन
दिल्ली
संपादक 'जीवन साहित्य'
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भाई कामताप्रसादजी से मेरा ४० वर्षका परिचय था और वे जैन समाज के एक माने हुए विशिष्ट विद्वान लेखक, समाजसेवी तथा पत्रकार थे । उनकी सज्जनता तथा हंसमुख चेहरा सब मित्रोंको याद रहता था ।
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'नवभारत टाइम्स'
उन जैसा कर्मठ सेवक निस्वार्थ सेवक धर्मका प्रचार करनेवाला व्यक्ति अब हमें
मिल सकता ।
सूरत
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युगेश सम्पादक 'वीर'
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माईदयाल जैन
एवं विश्व में जैन समाज में नहीं
स्वतंत्र जन
सहसंपादक 'जैन मित्र
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