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________________ ( ११८ ) समाज में प्रतिष्ठापित किया ठीक वैसे ही महात्मा गांधी अहिंसा व्रत पर जीबनके अंत तक डटे रहे । एक अन्य लेख अंग्रेजीका है जिसका शीर्षक है-" The Significance of the Name Mahavir." इसमें बाबूजीने यह बताया है कि अंतिम तीर्थंकर का नाम वैसे तो बर्द्धमान था पर महावीरके नामसे वे क्यों विख्यात हुए ? इसका कारण यही मालूम पड़ता है कि वे बोर थे, बीर ही नहीं वरन् महावीर थे। उनमें बीरता थी, बीरबकी भावना थी, इसलिये महावीर नामसे विख्यात हुए। संगमदेव ने परीक्षा के बाद उन्हें 'महावीर' कहा। रुहने तो उनको अतिवीर महावीर कहा था। इस प्रकार इस लेख में भगवान महाबीर के नामकी विस्तृत व्याख्या की गई है 1 मंगल प्रभात सन् १९५२ में जब डो० कामताप्रसाद जैन के सुपुत्र श्री वीरेन्द्र जैनका शुभ विवाह संस्कार हुआ तभी ६० पृष्ठीय इस काव्यका सम्पादन स्वयं बाबूजीने किया था। यह विशुद्ध काव्य ही नहीं है, वरन् देश विदेशके विद्वानोंकी सम्मतियां आशीर्वाद तथा वैवाहिक जीबनसे सम्बन्धित विचार हैं I श्री सुधेश, श्री शशि, श्री गुञ्जन, सुरेन्द्र प्रचंडिया, तन्मय बुखारिया, वीरेन्द्रप्रसाद जैन, हरिऔध, आदि कितने ही कवियोंकी सुन्दर कविताएं हैं। हरिऔध की कविता 'किसीका दिल काहे छोले ' तन्मय बुखारियाको 'चाहता जीवन किसीके प्यारी पहिचान', गुञ्जनकी 'जहां पूजा जाता नारीत्व वहीं पर अमरोंका घर है' और सुवेशकी 'प्यार पानेकी पिपासासे किसीको प्यार मत दो' आदि कविताएं बड़ी मर्मस्पर्शी हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003978
Book TitleKamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnarayan Saxena
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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