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(११६) श्री महावीर स्मृति ग्रन्थ बाबूजीके सम्पादन में "श्री महावीर स्मृति ग्रंथ" सन् १९४९ में प्रकाशित हुआ जिसमें ३३६ पृष्ठ हैं । इस ग्रंथके लिये देशविदेशके कितने ही विद्वानोंसे लेख एकत्रित कर प्रकाशित किये गये हैं। वैसे तो डॉ. विमलाचरण साह, प्रो० आदिनाथ नेमनाथ उपाध्ये, श्री रावजी नेमचन्द्र शाह भी सम्पादन मण्डलमें रहे हैं पर बाबूजीने विशेष उदाता दिखाई है। श्री मैथ्यू-मैकूके माहब बाइटन इंग्लेण्ड, डॉ. विलियम हेनरी टॉस्बोट, फेशर हाम, इंग्लैण्ड, और श्री हर्बट बरम साहब त्रिदेशी विचारकों तथा श्री हरिसर, भट्टाचार्य एम. ए. पी. एच. डा. हाबड़ा, बाहुल सांकृत्यान प्रयाग, डॉ. गजलि पांडेय काशो, पी. के. गोडे पूना, प्रो० बलदेव उपाध्याय, श्री चल्दा हाम जी न्यायतीर्थ, डॉ. सासुद्देवशाण अग्रवाल, श्री इजाप्रसाद द्विवेदो, डॉ. बनारसीदाम आदि आरती गण्य-मान्य विद्वानोंके ओ तथा प्रभावपूर्ण लेख हैं। कुछ मिलाकर ७१ लेख व कविताएं हैं।
डॉ० कामताप्रसाद जैन का "ऋषभदेव और महावीर शीर्षक: लेख तुलनात्मक अध्ययन के लिये आवश्यक है। दोनों तीर्थंकरोंके विचारों में समता और भिन्नता प्रकट की। अन्त में लिखा है"ऋषभदेव आर्य सभ्यता और अहिंसा संस्कृति के प्रतिष्ठापक और जैन धर्मके संस्थापक हुये तो महावीर अहिंसा संस्कृति के शोधक उन्नायक और जैन धर्मके पुनरोद्धारक हुये । ___ दूसरा लेख 'महाबीर और बुद्ध' शोर्षक है। इसमें तीर्थंकर ब तथागत शब्दोंकी व्याख्या की गई है। इस लेख में वुद्ध और महावीरको जीवनगाथाओं को लेकर तर्क पूर्ण विचारोंसे भगवान महावीरको उच्च स्थान प्रदान किया है। विभिन्न ग्रन्थों तथा अनेक विदेशी विचारकोंके विचारोंको भी काममें लिया है।
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