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________________ (११३) अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं में साहित्य, जैन कलाकी व्याख्या, जैनधर्मका सामाजिक और राजनैतिक दृष्टिकोणसे कल्याण हेतु मुल्यांकन, गुप्रकालमें जैन धर्म, गुमकालों पुरातत्व पृथ्वीराज और अन्य राजपूतों के शासन कालमें जैनधर्मका प्रचार, गुजरात, सौराष्ट्र, काठियावाड़ और दक्षिणी भागमें जैन धर्म और मुसलिम व अंग्रेजी शासन काल में धर्मका महत्ह जले अनेक आवश्यक विषयोंपर घरलता तथा उपदेशात्मक शैलोये विस्तृत प्रकाश डाला है : सेकड़ों प्रन्यों के अध्ययन क शोधोपरांत लिखा गया यह विउ अन्य अधिक महत्वपूर्ण है। इसे बाबूज के जोबनको नाम से बड़ो कृति का जा सकता है। (Chapter V) (Extract from B. C. law's Buddhistic Studics) Mahavira & Buddha यह ६६ पृष्टीय सन् १९३१में प्रकाशित अंग्रेजी की पुस्तक है। जिसमें प्रामान महा और बुद्ध का विस्तृत विवेचन है। दोनोंको साडीमला, होगी बन तुलनामा बर्गर, विभिन्न शिक्षाएं और विभिन्न घटनाओं का उल्लेख किया गया है। . श्री दशलाक्षणिक धर्म जयमाला १६ वीं शताब्दी के अपभ्रंश साहित्यके महाकवि श्रो स्यधूको प्रसिद्ध कृत्ति 'दशलक्षणिक धर्म जयमाला' का प्रकाशन तो वैसे बहुत पहले हो चुका था, पर बाबू नीकी यह इच्छा थी कि इसका हिन्दी पद्यानुवाद तथा अंग्रेजी में अनुवाद हो तो यह कृति अधिक लोकप्रिय हो सकती है। अस्वस्थताके दिनों में बाबूजी द्वारा इसका अंग्रेजी अनुवाद चल रहा था, थोड़ा अंश शेष रह Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003978
Book TitleKamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnarayan Saxena
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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