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In this brief dissertation Mr. Kamtaprasad Jain M. R. A. S. has attempted to give a lucid account of Mahavira, the twenty-fouth jains Tirthankara and other teachers who revolted against the dominont Brahmanie system and chalked out or re-fashioned other lines of thought and conduct."
(डॉ० कामताप्रसाद जैन एम. आर. ए. एस. ने चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के बारेमें तथ्यपूर्ण वर्णन किया है और समकालीन अन्य प्रबल शिक्षकोंका भी वर्णन किया है जिन्होंने ब्राह्मणवादके विरोध नूतन विचार एवं व्यवहारोंको जन्म दिया।)
Some Historical Jaina Kings and Heroes
(कुछ ऐतिहासिक जैन रागी और वीर) १०८ पृष्ठवाली इस पुस्तकका प्रकाशन १९५१में हुआ था। विभिन्न जैन राजाओं, वीरों ओर सेनापतियों का वर्णन इस पुस्तकमें हैं। जो लोग जहिंसाका गलत अर्थ निकालते हैं तथा जैन धर्मके सिद्धान्तों को बिना समझे बूझे आलोचनाका विषय बना देते हैं उन्हें इस पुस्तकके अध्ययनसे अपनी शंकाको समाधान करने में काफी सुविधा मिलती है। जैन धर्मका अहिंसाका सिद्धांत यह नहीं बताता कि युद्धभूमिमें शत्रुओंको पीठ दिखाकर घर वापिस चले आओ। अहिंसा सैद्धांतिक ही नहीं वरन् व्यवहारिक रूप भी हमें जैन बीर और राजाओं में देखनेको मिलता है।
महावीर वर्धमान, श्रेणिक बिंबसार, चन्द्रगुप्त मौर्य, राजा बीजल, राजपूत राजाओं, विभिन्न सेनापतियों, रानी चेलना
और भैरवदेवी आदिकी गौरव-गाथाओंसे यह पुस्तक भरी पड़ी हैं। जिनके जीवनकी शिक्षा हमें वीर और बहादुरीकी ओर
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