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________________ तीर्थंकर महावीर और आधुनिक युगमें उनकी शिक्षाका महत्व यह २४ पृष्ठीय ट्रेक्ट सन् १९६३ में प्रकाशित हुआ। इसमें भगवान महावीरका संक्षिप्त जीवन चरित्र तथा उनके द्वारा बताई गई विभिन्न शिक्षाओं का आजके युगमें महत्व पर प्रकाश डाला है। अंतिम दो पृष्ठों में महावीर वचनामृत हैं। गागर में सागर भरनेकी कहावत चरितार्थ हई दिखती है। महाबीरकी शिक्षाओं पर लोग शंशा करने लगते हैं और यहो सोचते रहते हैं कि इन बातोंसे भला क्या देश, जाति और विश्वका कल्याण होगा? ऐसे शंकाग्रस्त व्यक्तियों के लिये डाक्टर साहबने लिखा है " हम स्वयं इनका उत्तर कुछ नहीं देना ठीक समझते हैं क्योंकि इसका उत्तर बड़े बड़े महापुरुष यही देते हैं कि भगवान महावीरका आदर्श जीवन और उनके सिद्धान्त आज भी जीवन में आगे बढ़ानेके लिये मार्गदर्शन करनेमें समर्थ हैं.........। डॉ० राधाकृष्णनने कहा था कि “ यदि मानवता को बिनाशसे बचाना है और कल्याणके मार्ग पर चलना है तो भगवान महावीरके सन्देशको और उनके बताये हुये मार्गको ग्रहण किए विना कोई रास्ता नहीं है। भ० महावीर वर्द्धमान यह ३३ पृष्ठीय ट्रेक्ट भगवान महावीरके जीबनसे सम्बन्धित है । इसमें भगवानके जीवनसे सम्बन्धित समस्त घटनाओंका संक्षिप्त रूपमें वणन किया है। जन्मसे लेकर निर्वाण तककी बातों का संकेत किया है। भगवानका अपूर्व ज्ञान, अनूठा चरित्र, निर्भयता, प्रेमका प्रभाव, विवाहका प्रसंग, वैराग्यकी ओर बढ़ते Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003978
Book TitleKamtaprasad Jain Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnarayan Saxena
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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