________________
(८७) और प्रो० ब्लान्क आदिके उदाहरण भी दे देकर दकियानूसी विचारधाराओंको पनपानेवालोंकी आंखे ही खोल दी हैं। ____ अहिंसा भाव बढ़ाने, अभक्ष्य वस्तुएं न खाने और लोक हितकारी बननेको माह दी गई है ! साथ२ उन व्यक्तियोंको जो शक्तिबद्धकके लिये मांसाहार आवश्यक मानते हैं, अण्डेको शाकाकार बताते हैं, डॉ० बोसके आधार पर शाकाहारको भी हिंसक कहते हैं, मुंहतोड तकसे जवाब दिया है। सारी शंकाएं मिटातो हैं, कुतर्कको एक ओर ताकमें रख दिया है। साधुओं को उनके आदर्श जीवनका बोध भी कराया है। और कुतर्की भी अन्त में शंका-समाधान के बाद यही कहता है-"समझमें आ गया कि अहिंसा और हिंसाका मापदण्ड मानवके हृदयगत भाव हैं । दयासे अनुरंगित भाव जिस व्यक्तिके होंगे उसमें सदा मानवता जागृत रहेगी, वह इन्द्रिय बासनाका दाम नहीं बन सकेगा।"
अहिंसामें कायरता नहीं है सन् १९५९ में २४ पृष्ठोय पुस्तक प्रकाशित हुई। इसमें अहिंसाको जीवन तथा परमार्थ और हिंसाको मरण तथा स्वार्थ बताया गया है। मानव जीवन भी निरन्तर बहनेबाली नदीके समान है, जो बराबर कठिनाइयाँ उठाते रहने के बाद अपने लक्ष्यको पहुंच जाता है। जैसे नदी दो किनारोंको बांधकर आगे बढ़ती है वैसे मानव जीवनके दो किनारे सत्य और अहिंसा है। मानव जीवन इन्हीं दो किनारोंके बीच रहकर सुरक्षित रह सकता है। पश्चिमी देश अातंक फैलाने में उगे हैं। आजके लोग अहिंसाके बाह्य रूपको देखकर उसमें कायरताको गन्ध पाते हैं पर आन्तरिक शक्तिको जो बिरले देख पाते हैं, उनका अज्ञानांध
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org