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गीता का सम्यक् दर्शन - समदर्शन
___ डॉ. नरेन्द्र अवस्थी सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन और सम्यक् कर्म ये तीनों श्रीमद्भगवद्गीता के वे सूत्र हैं जिनको जीवन में उतारने पर जीवन केवल जीवन न रहकर एक सम्पूर्ण योग बन जाता है। सम्यक् ज्ञान से तात्पर्य है - अद्वैत बोध, सम्यक् दर्शन से तात्पर्य है - समदर्शन तथा सम्यक् कर्म से तात्पर्य है - निष्काम कर्म । सम्यक् ज्ञान से ही सम्यक् दर्शन तथा सम्यक् दर्शन से ही सम्यक् कर्म सम्भव है। दूसरे शब्दों में सम्यक् ज्ञानी ही समद्रष्टा तथा समद्रष्टा ही निष्काम कर्मयोगी हो सकता है। सम्यक् ज्ञान
श्रीमद् भगवद्गीता के सातवें अध्याय में भगवान् ने विज्ञान सहित ज्ञान के बारे में बतलाने की प्रतिज्ञा की है ।(गीता, ७.२) ईशावास्य उपनिषद् के ‘एकत्वमनुपश्यतः' की तरह गीताकार की दृष्टि में भी ज्ञानी ‘एकभक्ति' होता है ।(गीता, ७.१७) इसलिये भगवान् कहते हैं कि सर्वत्र वासुदेव को अनुभव करने वाला महात्मा सुदुर्लभ है ।(गीता ७.१९) वस्तुतः यही अद्वैत बोध रूप सम्यक् ज्ञान है जिसका उपनिषद्-साररूप गीता में पदे-पदे निरूपण है।
चतुर्दश अध्याय के प्रारम्भ में ही भगवान् ज्ञानों में भी उत्तम ज्ञान को बतलाते
'परं भयः प्रवक्ष्यामि जानानां ज्ञानमत्तमम।
यज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां सिद्धिमितो गताः ॥गीता, १४.१ इस उत्तम ज्ञान (सम्यक् ज्ञान) को जानकर सभी मुनिलोग परम सिद्धि को प्राप्त करते हैं। इस सम्यक् ज्ञान से होने वाली सिद्धि क्या है ? अग्रिम श्लोक में इसी का वर्णन है
'इदं ज्ञानमुपाश्रित्य मम साधर्म्यमागताः।'
इस सम्यक् ज्ञान का आश्रय लेकर व्यक्ति ईश्वर के साथ एकरूपता को प्राप्त हो जाते हैं। अद्वैतभाव में स्थित हो जाते हैं। यहाँ 'साधर्म्य' का अर्थ 'समानधर्मता' नहीं है जिससे कि ईश्वर और पुरुष अलग-अलग हों, क्योंकि गीता में क्षेत्रज्ञ और ईश्वर में अभेद स्वीकार किया गया है। भाष्यकार श्री शङ्कराचार्य कहते हैं__ “न तु समानधर्मतां साधर्म्य क्षेत्रज्ञेश्वरयोः भेदानभ्युपगमाद् गीताशास्त्रे ।”(गीता १४.२ पर शाङ्करभाष्य)
यह सम्यक् ज्ञान या सात्त्विक ज्ञान अथवा उत्तम ज्ञान अद्वैत बोध ही है। स्वयं भगवान् के शब्दों में
"सर्वभूतेषु येनैकं भावमव्ययमीक्षते ।
अविभक्तं विभक्तेषु तज्ज्ञानं विद्धि सात्त्विकम् ।"-गीता, १८.२० अर्थात् जिस ज्ञान के द्वारा मनुष्य अव्यक्त से लेकर स्थावर पर्यन्त समस्त भूतों में * सह आचार्य ,संस्कृत विभाग,जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय,जोधपुर
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