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________________ आज काल संसार में घणी अशान्ति फेलायली छे. तेनी शान्ति माटे परमात्मानी प्रार्थना करवानी जरूर छ । तेनाथी संसारमा शान्ति थाय छे । कारण के साचा हृदयथी अने भक्ति भावथी करेली प्रार्थना घणीज असर कारक होय छे । ते लोको मानसिक मोजाने मेन्टल दाइ बेशन माने छे। ते लोकों आबाबत सहेलाई थी समजी सकशे माटे हुं संजेली स्टेटनी तमाम प्रजाजनोंने विनन्ती करूंछु के उपर जनावेली तारीखे सवारना नव वाग्यानी अन्दर पोतोने योग्य स्थले एकठा थई प्रार्थना करो के "हे भगवान्' विश्वमा शान्ति स्थापो" ते दिवसे पोतानी श्रद्धा अनुसार दान आपे । आत्मानी शुद्धि माटे पोते व्रत पाले । ब्राहाणो शान्ति पाठ भणे । प्रजाजनों ने दारु मांस हिंसा दुराचरण करवानी मनाई छ । संजेली मां पूज्य महाराज श्री श्री घासीलालजी महाराजश्रीना उपदेशथी सजेली स्टेट के मेनेजर साहेबनी ओफिसथी ठेराव न. ११७५ थी संजेली स्टेटनी हदमा जे जे जगाये पाणीना नीरवाणो छे. त्यां कोई पण माणसोए माछला वीगेरे जंतुओ मारवानी सखत मनाई करवामां आवी छ । संजेली मां उपर बतावेली ता. पूज्य आचार्य महाराज श्री १००८ श्री घासीलालजी महाराजश्रीनु व्याख्यान श्रीमान् महाराजा साहेबनी आंबावाडी मां थशे । त्यां सर्वे प्रजाजनों वेपार बन्द राखी लाभ उठावे । आ विनंती राजा प्रजानी शान्ति माटे छे. हु आशा राखु छु के जनता आ बाबत मां सहकार आपशे. ता० १०१५।४१ मेनेजर सजेली स्टेट हस्ताक्षर महोरछाप श्री एकलिंगजी श्री रामजी बागपुरा । ता० ३।६ ४३ अजत्रफ ठा० किशोरसिंह । पट्टे जाडोल इलाका मेवाड ब खीदमत स्वामीजी महाराज २२ संप्रदाय के आचार्य पूज्य श्री घासीलालजी म. की परम पवित्र सेवा में निवेदन हो आपका पधारना यहां पर हुआ और धर्मोपदेश का व्याख्यान हुआ । वो निहायत अच्छे व सरल सब के समझ में आए आज की तारीख को ॐ शान्ति का जप किया । उसमें सब जाती के लोग शरीक हुए । मैं भी आया और मुझे बडी खुशी हुई । ॐ शान्ति के निमित्त निम्न लिखित प्रतिज्ञा करता हूं। मेरी तरफ से एक बकरा अमर करवा दूंगा, (२) शक्ति अनुसार कबुतरों को मक्की डालूंगा (३) हिंसा जहां तक हो सके नहीं करूंगा, (४) लोह (यानी जटका) ब शरते के मालिक के हुकुम के अलावा नहीं करूंगा कारण के इसमें पराधीनता का ख्याल रहता है । (५) दशहरे पर माताजी को बकरे का बलिदान किया जाता है, उसे कायम बन्द कर दिया जाता है। (६) दीवासा (याने हरियाली आमावस्यां) जो श्रावन में आती है उस रोज यहां के लोग मेरा याने खेडा देव कहते हैं उनके बलिदान में बकरा काटते हैं जिसको तीन साल से अमावस को काटना बन्द किया अब जहां तक हो सके सदा के लिए बन्द करने की कोशीश करूंगा । (७) ग्यारस अमावस को मांस भक्षण नहीं करूंगा (८) दरख्तो की चोटी यानी सिर नहीं काटने देऊंगा कि जिससे उनके बढने में बाधा उत्पन्न न हो (९) लावा, बटेर, घटक, शनदा, हिरण आदि जीवों की सर्वथा शिकार नहीं करूंगा और इनका मांस नहीं खाऊंया । (१०) आज से यथा शक्ति हरिस्मरण करूंगा उपर माफिक प्रतिज्ञा का बराबर पालन करूंगा (१) भाई स्वरूपसिंह की तरफसे १ बकरा अमर करेगा। (२) ग्यारस अमावस को मद्य मांस भक्षण नहीं करेंगे । (३) लोह अलावे मालिक के हुक्म बिना मन से नहीं करूंगा १९९९ का जेठ शुक्ल १ दः किशोरसिंह बागपुरा (झाडोल) , इस प्रकार के सैकड़ों पट्टे पूज्यश्री को राजा महाराजा, जागीरदार ठाकुरों ने भेट में दिये । उन सब का उल्लेख स्थानाभाव के कारण नहीं किया जा सका । पाठक गण क्षमा करें। . वि० सं० २००० का ४२ वाँ चातुर्मास जसवन्तगढ में वहां से तरपाल, सुवावता का गुडा पदराडा कन्बोल आदि ईन सर्व गांवौ में पूज्य श्री पधारे तो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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