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________________ २७८ महाराजश्री के प्रवचन से प्रभावित होकर जीवहिंसा दारु, मांस सेवन का त्याग किया । रामदला नामक भंगी ने भी दारु, मांस का एवं जीववध का त्याग किया । अन्य भी अनेक सज्जनों ने यथा शक्ति त्याग ग्रहण किये । एक दिन यहाँ बिराजकर आपने ५ जून को विहार कर दिया । ५ मील पर मीरपुर खास पधारे । आपके आने की सूचना स्थानीय लोगों को पहले से ही मिल गई थी। कुछ लोगों ने सामने जाकर महाराजश्री का स्वागत किया । स्टेशनमास्टर भी महाराजश्री के सामने आये । महाराजश्री को स्टेशन के एक मकान में उतारे गये । आहार पानी ग्रहण करने के बाद मध्यान्ह के समय आपके प्रवचन हुए यहां भी सब स्थानों की भांति जैन, अजैन मजदूर कास्तकार स्टेशन के समस्त कर्मचारी गण बहुत बडी संख्या में उपस्थित हुए । यहां भी व्याख्यान का बडा आनन्द आया । लोगों ने आपश्री के व्याख्यान की मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की अनेक लोगों ने जीवहिंसा, शराब एवं मांस का त्याग किया । चार दिन तक आप यही बिराजें । मध्यान्ह के समय एवं रात्रि में आपके प्रवचन हए । प्रवचन में हिन्दू और मुसलमान बडी संख्या में उपस्थित होते थे । प्रभावशावी प्रवचनों से सारे ग्राम में महाराजश्री की बडी प्रशंसा और जयध्वनि होने लगी । चार दिन के पश्चात् जब आपने बिहार किया तो बडी संख्या में हिन्दू मुसलमान आपको विदा करने के लिए आये और मांगलिक श्रवण के समय अनेक व्यक्तियों ने यथा शक्ति त्याग-प्रत्यख्यान ग्रहण किये । कराची का श्री संघ भी उपस्थित हुआ था । करा स्वामिवात्सल्य किया जिससे श्रावकों में खूब स्नेह वृद्धि हुई । महाराजश्री ने यहां से रतनाबाद की ओर बिहार किया । ७ सात मिल का विहार कर आप रतनाबाद पधारे । रात्रि में आपका प्रवचन हुआ । सदा के भान्ति यहां भी स्टेशनमास्टर श्री रङ्गराजसिंहजी ने दारु, मांस एवं जीवहिंसा का त्याग किया । बाबू शकरलालजी ने प्रत्येक महिने की पांच तिथियों में लीलोत्री, कुशील सेवन एवं रात्रि भोजन का त्याग किया। एवं प्रतिवर्ष एक एक बकरा अमरिया करने का प्रण लिया । ____ दूसरे दिन ९ जून को आपने विहार किया और आप अपनी मुनिमण्डली के साथ बुगलाई स्टेशन पधारे । यहां भी आपका प्रवचन हुआ। स्टेशन मास्टर मानमलजी वायेती ने प्रत्येक महीने की पांच तिथियों में हरी न खाने की एवं शीयलवत पालने की प्रतिज्ञा की । असिस्टेन्ड स्टेशन मास्टर शंकरलालजी ने भी इसी प्रकार का त्याग ग्रहण किया ।। शाम को यहां से विहार कर दिया । आपने पांच मील का विहार किया । आप कमारोशरीफ पधारे । यहां भी अच्छा उपकार हुआ । सायंकाल के समय यहां से आपके विहार कर दिया । चार मील का विहार कर आप टंडोअलीआर पधारे । यहां भी प्रवचन हुआ । प्रवचन से प्रभावित हो स्टेशन मास्टरों ने रेल्वे कर्मचारियों ने तथा ग्राम निवासियों ने विविध त्याग-प्रत्याख्यान ग्रहण किये । जीव हिंसा, दारु, मांस का त्याग किया । वैष्णव धर्म का पालन करने वाले कुछ व्यक्तियों ने पांच तिथियों में ब्रह्मचर्यव्रत पालने का नियम ग्रहण किया । यहां से आपने विहार किया और ११ जून को केसानोनसर पुर रोड पधारे । यहां भी बड़ा उपकार हुआ । स्टेशन मास्टर देवराजजी ने एवं मुरलीधरजी ने एवं बालकिसन जी ने अष्टमी, एकादशी, अमावश्या एवं पूर्णिमा के दिन ब्रह्मचर्य पालने का एवं लीलोती तथा रात्रि भोजन का त्याग ग्रहण किया । तथा प्रतिवर्ष एक-एक बकरा अमरिया करने का प्रण लिया । अन्य भी प्रवचन में उपस्थित हिन्दू मुसलमान भाईयों ने दारु, मांस एवं जीव हिंसा का त्याग किया । वहां से १२ जून को ४|| मील का विहार कर टन्डोजाम शहर पधारे। यहां भी आपका प्रवचन हुआ । हिन्दू मुसलमान बडी संख्या में उपस्थित हुए। अनेकों ने दारु, मांस एवं जीवहिंसा का त्याग किया । कुछ व्यक्तियों ने पांच तिथि में रात्रि भोजन व ब्रह्माचर्य का पालन एवं लीलोत्री खाने का Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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