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भंवरलालजी आसिस्टेन्ड स्टेशन मास्टर एवं रामनाथजी स्टेशन मास्टर ने पांच तिथि में रात्रि भोजन का त्याग किया । तथा एकादशी के दिन जैन पद्धति से उपवास करने का प्रण किया । इसके अतिरिक्त पांच तिथियों में ब्रह्मचर्य व्रत पालने का नियम ग्रहण किया । बाब विरधारामजी चौधरी पी डब्ल्यू रेल्वे लाइन के इन्सपेक्टर ने एवं अन्य कर्मचारियों ने भी महाराजश्री से यथा शक्ति व्रत ग्रहण किये।
२५ मई को प्रातः ही आपने अपनी मुनिमण्डली के साथ जैसिन्धर से विहार कर दिया । पांच मील लम्बा विहार कर आप मुनाबा पधारे यहां स्टेशन पर ही आपका बिराजना हुआ । मध्यान्ह में आपने जाहिर प्रवचन दिया । प्रवचन में अनेक भाई बहन उपस्थित हुए । आपने अहिंसा धर्म की महत्ता पर प्रभावशाली प्रवचन दिया । आपके प्रवचन से अनेक सज्जन प्रभावित हुए और आपके विद्वता भरे प्रवचनों की भूरि-भूरि प्रशंसा करने लगे। प्रवचन से प्रभावित होकर स्टेशन मास्टर हीराचन्दजी कायस्थ ने दारु, मांस एवं जीवहिंसा का सदा के लिए त्याग किया । तथा जहां तक हो सके रात्रि भोजन करने का भी प्रण लिया । इनके अतिरिक्त अनेक व्यक्तियों ने विविध प्रकार के दुव्र्यसनों के सेवन का त्याग किया । सायं काल के समय आपने वहां से विहार कर दिया और दो मील पर ढाणी में आप ठहर गये । यहां भी आपने उपदेश दिया । ढाणी के निवासियों ने आपके उपदेश से हिंसा का त्याग किया । और दारु मांस सेवन न करने का प्रण ग्रहण किया । __२६ मई को आप विहार कर खोखरेपार पहुँचे । यहाँ मारवाड प्रान्त की सीमा समाप्त हो जाती है
और सिन्धदेश की सीमा प्रारम्भ होती है । सीमा स्थल होने से यहां के स्टेशन मास्टर एवं पुलिस कर्मचारियों की संख्या अच्छी है । रात्रि में आपका जाहिर प्रवचन रखा गया । सभी स्टेशन मास्टर पुलिस एवं पुलिस अधिकारी नाकेदार तथा अन्य छोटे बड़े सभी राज्य कर्मचारी आपके प्रवचन में उपस्थित हुए । प्रवचन में आपने मानवदेह की दुर्लभता पर व्याख्यान दिया लोग बडे प्रभावित हुए । आपके प्रवचन से सिन्धि भाईयों ने बड़ी संख्या में मांस मदिरा का त्याग किया। स्टेशन मास्टरों ने रात्रि के ग्यारह बजे तक धर्म के विविध तत्त्वों पर प्रश्नोत्तरी की । महाराजश्री की समाधान करने की सरल पद्धति से बडे प्रभावित हुए। उन्होंने पांच तिथियों में रात्रि भोजन न करने का एवं शीलवत पालने का नियम लिया। राजपूत ठाकुरों ने जीवहिंसा, शिकार करने का जूआ मांस मदिरा एव वेश्यागमन का त्याग किया । अन्य . कर्मचारियों ने भी त्याग कर अपनी धर्म भावना का परिचय दिया । मुसलमान भाई बशीरमुहम्मदखान
साहेब ने एवं अन्य मुसलमानभाईयों ने दारु मांस सेवन का त्याग किया । रात्रि का यह सत्संग बडा हि आकर्षक एवं प्रभावशाली रहा । प्रातः होते ही महाराजश्री ने बिटाला की और विहार कर दिया २७ मई को आप ३ मोल का विहार कर बिटाला गांव में पधारे । यहां १५-२० घर राजपूतों के थे । आपने यहीं आहार पानी ग्रहण किया । मध्यान्ह के समय १५-२० घरों के सभी राजपूत भाई महा राज श्री की सेवा में उपस्थित हुए । प्रवचन हुआ । प्रवचन से प्रभावित होकर ठाकुर साहब वीरसिंहजी ने जीवहिंसा का सदा के लिए त्याग कर दिया । और वैशाख भाद्रपद के महिनों में सर्वथा दारू मांस का त्याग किया एवं अन्य महिनों की पांचों तिथियों में मांस मदिरा का त्याग किया । मल्ला नाम का एक मेवाड का भील वहीं रहता था। उसने सैकडों डाके डाले थे । अनेकों के खून कर डाले थे । महार श्री के प्रवचन का उस पर बडा अच्छा प्रभाव पड़ा । उसने डाका न डालने का प्रण किया । एवं पांच तिथियों में जीवहिंसा शराब एवं माँस सेवन का त्याग किया । और धीरे धीरे शराब मांस को सदा के लिए छोडने का नियम ग्रहण किया । चार बजे के बाद आपने विहार कर दिया चार मील का विहार कर आप वासरवा स्टेशन पधारे । रात्रि में आपने यहीं निवास किया । यहां भी आप का प्रवचन हुआ ।
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