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________________ भ बहिर्मुखी हुआ बहुबीजी फल बादर बारहव्रत बारह व्रत 781 बालू बाह्य बाह्य परिग्रह बुद्धिपूर्वक भू-स्खलन | भेददृष्टि भोक्तृत्व भाव म मंदकषायी मतिज्ञान मद्य मध्यस्थता मनोवर्गणा मनोविचलन ममत्व ममत्वभाव मर्यादा मात्सर्य मान मार्गणा मार्गानुसारी मिथ्याचारित्र मिथ्याज्ञान मिथ्यात्व मिथ्यादर्शन मुनिधर्म मुमुक्षु मूर्च्छा मूढ़ Jain Education International बाहर की ओर मुख वाला, बाह्य पदार्थों की ओर आकर्षित जिसमें एक से अधिक पक्ष हों (Multidimensional एक अभक्ष्य, जिसमें परस्पर सटे हुए अनेक बीज हों, जैसे अंजीर, खसखस आदि बड़ा, स्थूल श्रावकों के द्वारा स्वीकार किये जाने योग्य बारह प्रकार के व्रत या नियम गृहस्थ श्रावकों द्वारा पालन करने योग्य व्रत (5 अणुव्रत 3 गुणव्रत, 4 शिक्षाव्रत) महीन रेत बाहरी, ऊपरी | धन-धान्यादि नौ प्रकार की वस्तुओं का परिग्रह | ज्ञानपूर्वक, सचेतन (Consciously) | भूमि का क्षरण या बहाव (Soil Erosion) भेद करने वाली दृष्टि पर पदार्थों को भोगने का भाव अल्प कषाय इन्द्रियों और मन से प्राप्त ज्ञान मादक, नशा बीच-बचाव, तटस्थता, पक्षपातरहितता, समता पुद्गल परमाणुओं का पिण्डविशेष, जिससे द्रव्य - मन की रचना होती है मानसिक क्षमताओं का चलायमान होना, विकृत होना या ह्रास होना लगाव, स्नेह, ममता पर पदार्थों में मेरे पने का भाव सीमा, हद -- जलन, डाह कषाय का एक प्रकार, अहंकार, तौल, माप, हीनता - अधिकता को प्राप्त प्रस्थ आदि खोजना, अन्वेषण करना, गवेषणा | जिन प्रणीत मार्ग का अनुसरण करने वाले, श्रावक योग्य पैंतीस गुणों से युक्त, सम्यक्त्व प्राप्ति के अभ्यासी मोक्षमार्ग से विपरीत मार्ग पर चलना, आत्मा की रागद्वेषमय अस्थिर अवस्था | मिथ्यात्व की विद्यमानता में होने वाला ज्ञान, मोक्षमार्ग का संशय, विपर्यय, अनध्यवसाय युक्त ज्ञान जीवादि पदार्थों पर अयथार्थ श्रद्धा, मिथ्यादर्शन | देखें, मिथ्यात्व | देखें, अनगार धर्म मोक्ष की इच्छा रखने वाला बेहोशी, ममत्व, परिग्रह मूर्ख, जड़ संक्षिप्त शब्दकोष For Personal & Private Use Only 11 www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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