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दृढ़प्रहारी, चिलातीपुत्र, इलायचीकुमार आदि अनेक दृष्टान्त हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं।
सार रूप में, यह कहा जा सकता है कि मानव-जीवन में ही प्रबन्धन की सर्वश्रेष्ठ योग्यताएँ विद्यमान हैं और इसीलिए प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध का सुयोग्य पात्र भी मनुष्य ही है।
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अध्याय 1: जीवन-प्रबन्धन का पथ
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