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________________ iv) अनिष्ट - स्वास्थ्य बिगाड़ने वाली वस्तुएँ, जैसे – अधपकी वस्तुएँ। v) अनुपसेव्य - घृणित एवं निन्दनीय वस्तुएँ, जैसे – मांस, मछली आदि। 6) उपभोग-परिभोग परिमाण व्रत का पालन करते हुए निम्न अतिचारों (दोषों) से बचना13 - i) सचित्त आहार - अमर्यादित सचित्त वस्तु का सेवन। ii) सचित्त-प्रतिबद्ध आहार – सचित्त से युक्त (लगी हुई) अचित्त वस्तु का आहार। iii) अपक्व आहार - कच्ची शाक, बिना पके फल आदि का सेवन। iv) दुःपक्व आहार – गलत ढंग से पकी वस्तु का आहार। v) तुच्छ औषधि भक्षण - कम खाई और अधिक फेंकी जाने वाली वस्तु का सेवन । 7) अनर्थदण्ड विरमण व्रत को ग्रहण करना - भोगोपभोग की उन समस्त क्रियाओं का त्याग करना, जो वर्तमान जीवन के लिए अर्थहीन हैं एवं पापकारी होने से भावी जीवन में दण्डनीय 8) ब्रह्मचर्य का यथासम्भव पालन करना और स्वदारासन्तोषव्रत ग्रहण करते हुए नौ वाड़ो (नव गुप्ति) का पालन करना14 - i) स्त्री-पुरूष और नपुंसक से दूर वास करना। ii) स्त्री सम्बन्धी वार्ताएँ नहीं करना। i) स्त्री के द्वारा प्रयुक्त शयन, आसन, पाट, पाटले आदि पर नहीं बैठना। iv) स्त्री के अंगोपांग देखने का प्रयत्न नहीं करना। v) दीवार के अन्तराल पर स्त्री-पुरूष का युगल रहता हो, ऐसे स्थान का त्याग करना। vi) पूर्वकृत काम-क्रीड़ा का स्मरण नहीं करना। vii) गरिष्ठ एवं तामसिक आहार का त्याग करना। viii) प्रमाण से अधिक आहार नहीं करना। ix) शरीर का शृंगार नहीं करना। 9) स्वस्त्रीसन्तोष व्रत का पालन पूर्ण निष्ठा से करना और निम्न स्वछन्दताओं से बचना115 - i) इत्वर परिगृहीता गमन – धनादि देकर पराई स्त्री के साथ थोड़े समय के लिए समागम करना। ii) अपरिगृहीता गमन - वेश्या, विधवा, परित्यक्ता या कुमारी आदि के साथ समागम करना। i) अनंगक्रीड़ा - अप्राकृतिक मैथुन करना अथवा कृत्रिम साधनों के द्वारा कामाचार की कल्पना करना। iv) परविवाहकरण - कन्यादान को धर्म मानकर अथवा रागवश दूसरों के लड़के-लड़कियों का विवाह कराना। v) कामभोगतीव्रअभिलाषा – काम-क्रीड़ा में तीव्र आसक्ति होना एवं उसके लिए कामोद्दीपक जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व 34 646 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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