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________________ बाह्य-परिग्रह कर्म-परिग्रह शरीर-परिग्रह बाह्य वस्तु रुप परिग्रह नाम प्राचीन सन्दर्भो में __ आधुनिक सन्दर्भो में 1 क्षेत्र (Land) खेत या खुली जमीन कृषि भूमि, उद्योग भूमि, क्रय-लीज द्वारा प्राप्त भूमि आदि 2 वास्तु (Property) मकान, दुकान आदि बंगला, फ्लैट, दुकान, ऑफिस, बिल्डिंग, मॉल आदि 3 हिरण्य (Silver) चाँदी के सिक्के, आभूषण चाँदी की चेन, कड़ा, अंगूठी, गिफ्ट आईटम, आदि बर्तन आदि 4 स्वर्ण (Gold) स्वर्ण के सिक्के, आभूषण आदि सोने की चेन, अंगूठी, घड़ी, बिस्किट, बालियाँ आदि 5 धन (Wealth) हीरे, पन्ने, माणक, मोती, नकदी मुद्रा, बैंक में जमा रकम, शेयर, एफ. जवाहरात आदि डी., बीमा-धन आदि 6 धान्य (Grains) गेहूँ, चावल, मूंग, मोठ आदि सभी प्रकार के खाद्य एवं पेय पदार्थ आदि 7 द्विपद (Employees etc.) नौकर-नौकरानी, तोता-मैना, मैनेजर, क्लर्क, वकील, चपरासी, नौकर, पति-पत्नी, सहोदर157A आदि नौकरानी, परिजन, पालतू पक्षी आदि 8 चतुष्पद (Pet Animals) गाय, भैंस, कुत्ता आदि पालतू गाय, भैंस, कुत्ता आदि पालतू पशु पशु 9 कुप्य (Miscelleneous) वस्त्र, पलंग और अन्य धातु टी.वी., कम्प्यूटर, फर्नीचर, वाहन, फ्रीज , बर्तन, निर्मित सामग्रियाँ आदि वस्त्र, शो-केस, जूते-चप्पल इत्यादि सामग्रियाँ जैन जीवन-दृष्टि में अर्थ-प्रबन्धक के लिए सर्वाधिक प्राथमिकता आत्मा की है, तत्पश्चात् अनुक्रम से कर्म की, शरीर की और आहार, वस्त्र, पात्रादि की, जबकि वर्तमान में व्यक्ति सामान्यतया आहार, वस्त्र, पात्रादि को ही महत्त्वपूर्ण मानता है और आत्मा, कर्म एवं शरीर की उपेक्षा कर देता है। अतः अर्थ-प्रबन्धक को अपनी आर्थिक-प्रक्रियाओं में निम्न बिन्दुओं का ध्यान रखना आवश्यक है - ★ आत्मा में राग-द्वेष के भावों पर उचित नियंत्रण हो। ★ पाप-कर्मों का संचय कम से कम हो। ★ शरीर की स्वस्थता एवं स्फूर्ति में कमी न हो और इसकी साधनता बाधित न हो। ★ आहार, वस्त्र, पात्रादि की आवश्यकता-पूर्ति का सम्यक् प्रयत्न हो। ★ शेष संसार (अप्रयोजनभूत संसार) के बारे में अनावश्यक विचारणा ही न हो। 571 अध्याय 10 : अर्थ-प्रबन्धन 43 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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