________________
201 अभक्ष्य अनंतकाय विचार, प्राणलाल मेहता, पृ. 25 202 आचारांगसूत्र, 1/1/3/9 203 दशवैकालिकसूत्र, 6/30 204 अभक्ष्य अनंतकाय विचार, प्राणलाल मेहता, पृ. 20 205 चलो जिनालय चलें, पं. हेमरत्नविजय, पृ. 26 206 क्रियाकोष, कवि किशनसिंह, 798-800 207 कल्पसूत्र, आ.आनंदसागरसूरिजी म. सा., नौवीं वाँचना, पृ.
484 208 आयुर्वेद सिद्धांत रहस्य, आ.बालकृष्ण, पृ. 148-149 209 प्रबोधटीका, 1/115 210 प्रवचनसारोद्धार, 3/183-185 211 महावीर का स्वास्थ्यशास्त्र, आ.महाप्रज्ञ, पृ. 71 212 प्रबोधटीका, 1/111 213 नयामानव नयाविश्व, आ.महाप्रज्ञ, पृ. 111 214 जीवनविज्ञान : शिक्षा का नया आयाम, आ.महाप्रज्ञ,
239 श्राद्धविधिप्रकरण, पृ. 60 240 वही, पृ. 57 241 बृहत्कल्पभाष्य, 4118 242 श्रीमद्राजचन्द्र, पत्रांक 19, पृ. 139-143 243 दशवैकालिकसूत्र, 6/63-66 244 तत्त्वार्थसूत्र, 7/16 245 योगशास्त्र, 1/48, 51 246 तत्त्वार्थसूत्र, 9/7 247 भगवतीआराधना, 872 248 बृहत्कल्पभाष्य, 940 249 वही, 940 250 स्थानांगसूत्र, 9/13 251 पुष्पपराग, मुनिजयानंदविजय, 383 से उद्धृत 252 महावीर का स्वास्थ्यशास्त्र, आ.महाप्रज्ञ, पृ. 30 253 दशवैकालिकसूत्र, 3/12
पृ. 23
215 कैसे सोचें?, आ.महाप्रज्ञ, पृ. 58 216 तत्त्वार्थसूत्र, 5/21 217 हिन्दीसूक्ति-संदर्भकोश, महो.चन्द्रप्रभसागर, पृ. 19 218 बृहत्कल्पभाष्य, 825 219 श्रीमद्देवचन्द्र, वर्तमान चौबीसी, 9/6 220 व्यवहारभाष्य, 91-93 221 उत्तराध्ययनसूत्र, 26/18 222 श्राद्धविधिप्रकरण, पृ. 248 223 दशवैकालिकसूत्र, संत बालजी, पृ. 112 (दशवैकालिकसूत्र,
मुनिमिश्रीमलजी, पृ. 317 से उद्धृत) 224 श्राद्धविधिप्रकरण, पृ. 249 225 श्रीमद्राजचन्द्र, पत्रांक 2, पृ. 4 226 वही, पृ.6 227 नीतिवाक्यामृत, 25/3 228 वही, 25/3 229 श्राद्धविधिप्रकरण, पृ. 249 230 नीतिवाक्यामृत, 25/21-22 231 कल्याणकारक, श्रीउग्रादित्याचार्य, 6/24 232 व्यवहारभाष्य, 3412 . 233 श्राद्धविधिप्रकरण, पृ. 248-253 234 वही, पृ. 31 235 योगशास्त्र, 1/50 236 वही, 1/49
(जैनआचार, देवेन्द्रमुनि, पृ. 235 से उद्धृत) 237 श्राद्धविधिप्रकरण, पृ. 58 238 जैनआचार, देवेन्द्रमुनि, पृ. 244-245 78
जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
304
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org