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________________ (ग) व्यावसायिक कारक123 1) अनावश्यक बैठकें (Unnecessary Meetings) – व्यावसायिक क्षेत्रों में एक ही प्रकरण को लेकर कई बार अनावश्यक बैठकें होती हैं और चाय-पानी, नाश्ते एवं गप्पे मारने में ही सम्पन्न हो जाती हैं। कई बैठकें तो मात्र दिखाने के लिए और खानापूर्ति के लिए होती हैं। 2) दूरभाष यन्त्रों एवं कम्प्यूटर का दुरुपयोग (Misuse of Telephone & Computer Instruments) - आजकल दूरभाष, मोबाईल, कम्प्यूटर-चेटिंग, ई-मेल, इंटरनेट, फैक्स आदि का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है। छोटी-छोटी और निरर्थक बातों के लिए भी इनका उपयोग किया जा रहा है। सस्ती संचार सेवा से उपभोक्ता-वर्ग भले ही धन बचा रहा हो, लेकिन अपना अमूल्य समय नष्ट कर रहा है। महात्मा गाँधी का कहना है कि आदमी अगर निकम्मी बात छोड़े और काम की बात थोड़े से थोड़े शब्दों में कहें, तो वह अपना एवं दूसरों का बहुत समय बचा सकता है।124 3) अस्पष्ट संप्रेषण (Unclear Communication) – व्यवसाय में आदेश, निर्देश, परामर्श, विमर्श आदि करने की बारम्बार आवश्यकता पड़ती है। इनमें स्पष्टता नहीं होने से सामने वाले को ठीक ढंग से बात समझ में नहीं आती। इस प्रकार के अस्पष्ट संप्रेषण में अनावश्यक रूप से समय नष्ट होता रहता है। 4) 'ना' कहने में अक्षमता (Unable to say 'No') - कई बार व्यक्ति शिष्टाचारवश या संकोचवश उन कार्यों के लिए भी 'ना' नहीं कह पाते, जिनको करने में वे अक्षम होते हैं। इससे समय भी अधिक खर्च करना पड़ता है और फिर भी कई बार कार्य पूरा नहीं हो पाता। 5) सहकर्मी (Co-workers) - कार्यालयों में कई बार सहकर्मी भी समय बचाने के बजाय समय गँवाने में सहायक हो जाते हैं। कार्य समय में भी गप्पे मारना, हँसी-ठिठोली करना, अनावश्यक बातें करना, बार-बार चाय-पानी करना आदि समय बर्बादी के मुख्य कारण बन जाते हैं। कई कर्मचारी स्वंय भी अप्रबन्धित होते हैं और दूसरों को भी सुचारु रूप से कार्य नहीं करने देते हैं। 6) कार्यदशाएँ (Working Conditions) - कार्यालय में सही कार्यदशाओं के अभाव में भी समय यूँ ही नष्ट हो जाता है, जैसे - प्रकाश की समुचित व्यवस्था न होना, तापमान सही नहीं होना, सही उपकरणों का अभाव होना, बैठने-चलने, खाने-पीने आदि की सही व्यवस्था नहीं होना इत्यादि। (घ) अन्य कारक (Other Time Wasters)125 1) यातायात साधनों का सही नहीं होना - परिवहन साधनों के बार-बार खराब होने, यातायात सेवाओं में चालक आदि के द्वारा लापरवाही बरतने आदि से भी समय नष्ट होता है। 2) बुनियादी आवश्यकताओं की अव्यवस्था - बिजली, पानी, सड़क आदि की अव्यवस्था से भी बहुत-सा समय नष्ट हो जाता है। 217 अध्याय 4: समय-प्रबन्धन 35 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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