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________________ सन्दर्भसूची 27 वही, पृ. 23-24 28 वही, पृ. 35-36 1 जैन एवं बौद्ध शिक्षादर्शन, डॉ.विजयकुमार, पृ. 1 29 वही, पृ. 37 2 मातेव रक्षति पितेव हिते नियुक्ते, 30 वही, पृ. 38 कान्तेव चापि रमयत्यपनीय खेदम्। 31 वही, पृ. 39 लक्ष्मी तनोति वितनोति च दिक्षुकीर्ति, 32 वही, पृ. 40 किं किं न साधयति कल्पलतेव विद्या।। 33 आधुनिकभारतीय शिक्षाः समस्याएँ और समाधान, रवीन्द्र सुभाषितरत्नभण्डार, वासुदेव शर्मा, 31/2/14 अग्निहोत्री, पृ. 23-24 (वही, पृ. 1 से उद्धृत) 34 भारत में शैक्षिक प्रणाली का विकास, ए.बी.भटनागर, पृ. 68 3 विद्या यशस्करी पुंसां विद्या श्रेयस्करी मता।। 35 .......a class of persons Indian in blood and colour, सम्यगाराधिता विद्या देवता कामदायिनी।।। but English in tastes, in opinions in morals & in विद्याः कामदुहा धेनुर्विद्या चिन्तामणिनृणाम्। त्रिवर्ग फलितां सूते विद्या सम्पत्-परम्पराम्।।। intellect Macaulay. (आधुनिकभारतीय शिक्षाः समस्याएँ विद्या बन्धुश्च मित्रं च विद्या कल्याण कारकम् । और समाधान, रवीन्द्र अग्निहोत्री, पृ. 25 से उधृत) सहयायि धनं विद्या विद्या सर्वार्थ साधनी।। 36 वही, पृ. 21-22 37 शिक्षा का विकास एवं समस्या, पी.नारंग, पृ. 69 - आदिपुराण, 16/99-101 38 आधुनिकभारतीय शिक्षाः समस्याएँ और समाधान, रवीन्द्र 4 विद्या तु वैदुष्यमुपार्जयन्ति जगति लोकद्वयसाधनाय।। - प्राचीन भारतीय शिक्षण पद्धति, अल्तेकर, पृ. 4 अग्निहोत्री, पृ. 27 (जैन एवं बौद्ध शिक्षादर्शन, डॉ.विजयकुमार, पृ. 2 से उद्धृत) । 39 (क) वही, पृ. 63 5 इमा विज्जा महाविज्जा........सा विज्जा दुक्ख मोयणी।।। (ख) शिक्षा का विकास एवं समस्याएँ, पी.नारंग, - ऋषिभाषितसूत्र, 17/1-2 पृ. 69-70 40 आधुनिकभारतीय शिक्षाः समस्याएँ और समाधान, रवीन्द्र 6 संस्कृतहिन्दीकोश, पृ. 1015 7 धातुपाठ, महर्षिपाणिनी अग्निहोत्री, पृ. 62 8 जैन एवं बौद्ध शिक्षादर्शन, डॉ.विजयकुमार, पृ. 2 41 वही, पृ. 246-247 42 वही, पृ. 260 9 तत्त्वार्थसूत्र, 5/29 10 व्यक्तिगत चर्चा के आधार पर 43 वही, पृ. 270 11 जैन एवं बौद्ध शिक्षादर्शन, डॉ.विजयकुमार, पृ. 1 44 The teacher's place in society is of vital importance. 12 वही, पृ. 7 He acts as the pivot for the transmission of 13 वही, पृ. 60 intellectual traditions and technical skills from 14 वही, पृ. 3 generation and helps to keep the lamp of 15 वही, पृ. 24-26 civilization burning. 16 वही, पृ. 105 -Dr.S.Radhakrishanan (वही, पृ. 184 से उधृत) 17 वही, पृ. 39 45 वही, पृ. 200 18 वही, पृ. 18 46 वही, पृ. 210 19 वही, पृ. 79 47 वही, अध्याय 10 20 वही, पृ. 80 48 त्रीणिछेदसूत्राणि (दशाश्रुतस्कंध), छठी दशा, पृ. 40 21 वही, पृ. 95-96 49 जैन, बौद्ध और गीता, डॉ.सागरमलजैन, 2/437 22 वही, पृ. 120 50 उत्तराध्ययनसूत्र : दार्शनिक अनुशीलन, 23 वही, पृ. 115 सा.डॉ.विनीतप्रज्ञाश्री, पृ. 6 24 शिक्षा का विकास एवं समस्या, पी.नारंग, पृ. 8-9 51 जीवनकला, श्रीमद्राजचंद्र, पृ. 29 25 वही, पृ. 12-15 52 निशीथभाष्य, 5249 26 वही, पृ. 15-17 53 सागरजैन विद्याभारती, डॉ.सागरमलजैन, 1/163 179 अध्याय 3: शिक्षा प्रबन्धन 65 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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