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208 व्यावसायिक प्रबन्ध के सिद्धांत एवं उद्यमिता,
243 स्थानांगसूत्र, 2/1/168, पृ. 46 डॉ.प्रवीण कुमार अग्रवाल, पृ. 40
244 उत्तराध्ययनसूत्र, 10/2 209 त्रीणिछेदसूत्राणि (व्यवहारसूत्र), 2/25, पृ. 299-300 245 वही, 1/31 210 Organization & Management, R.D.Agrawal, p. 16 246 अनगारधर्मामृत, 7/9 211 त्रीणिछेदसूत्राणि (दशाश्रुतस्कंध), 4/8/1, पृ. 26 247 मैत्राण्युपनिषद्, 4/11 (जैन, बौद्ध और गीता, 212 Organization & Management, R.D.Agrawal, p. 16
डॉ.सागरमलजैन, 1/482 से उद्धृत) 213 तत्त्वार्थसूत्र, 7/6
248 संस्कृतहिन्दीकोश, वामन शिवराम आप्टे, पृ. 96 214 वही, 5/21
249 जैन, बौद्ध और गीता, डॉ.सागरमलजैन, 1/155 215 त्रीणिछेदसूत्राणि (बृहत्कल्पसूत्र), 3/20, पृ. 185
250 तत्त्वार्थसूत्र, पं.सुखलाल संघवी, पृ. 1 216 Organization & Management, R.D.Agrawal, p. 4
251 धर्मबिन्दु, 3/7-8 217 संसारभावना - कविवरभूधरदास कृत बारह भावना
252 जैन, बौद्ध और गीता, डॉ.सागरमलजैन, 1/155 218 आचारांगसूत्र, 1/2/3
253 परमात्मप्रकाश, 2/3 219 मुक्तिवैभव, त्रिशलादेवी कोठारी, पृ. 257-258 220 श्रीपालचरित्र, सा. हेमप्रज्ञाश्री, पृ. 31,101 221 पर्यावरणविकास (पत्रिका), सितंबर, 2008, अंक 9,
पृ. 10 222 समयसार, 9/383-385 223 मोहमूलाणि दुक्खाणि - ऋषिभाषित, 2/7 224 उत्तराध्ययनसूत्र, 32/2 225 आचारांगसूत्र, 1/1/2/14, पृ. 10-11 226 (क) उत्तराध्ययनसूत्र, 23/83
(ख) नियमसार, 43-44 227 श्रीमद्राजचंद्र, पत्रांक 718, पृ. 534 228 भक्तपरिज्ञा, 91 229 समयसार, 8/306-307, पृ. 389 230 श्रीमद्देवचंद्र, अतीत चौबीसी, 11/10 231 देखें, तीर्थकरचरित्र (आदिनाथ चरित्र), मुनिजयानंदविजय, पृ.
____ 15-30 232 भारतीय जीवन मूल्य, डॉ.सुरेन्द्र वर्मा, पृ. 127 233 उत्तराध्ययनसूत्र : दार्शनिक अनुशिलन,
सा.डॉ.विनीतप्रज्ञाश्री, पृ. 548 234 जैन नीतिशास्त्र : एकपरिशीलन, देवेन्द्रमुनि, पृ. 124 235 अष्टशती (जैनेन्द्रसिद्धांतकोश, 3/70) 236 जैनेन्द्रसिद्धांतकोश, 3/70 237 ज्ञानार्णवः, 3/4 238 भारतीय जीवन मूल्य, डॉ.सुरेन्द्र वर्मा, पृ. 31 239 वही, पृ. 32 240 (क) डॉ.सागरमलजैन अभिनन्दनग्रन्थ, पृ. 187
(ख) उत्तराध्ययनसूत्र : दार्शनिक अनुशिलन,
सा.डॉ.विनीतप्रज्ञाश्री, पृ. 548 241 निशीथभाष्य, 4157 242 प्रशमरति, 148
जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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