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________________ 432 1. अनन्तभागवृद्धिः - अनंत गुणों में सेएक गुण की पर्याय का जो उत्पाद है, वह अनंतभागवृद्धि है। 2. असंख्यातभागवृद्धिः – जो असंख्यात गुणों की अपेक्षा एक गुण की पर्याय का उत्पाद है, वह असंख्यातभाग वृद्धि है। 3. संख्यातभागवृद्धिः – जो संख्यात गुणों की अपेक्षा एक गुण की पर्याय का ___ उत्पाद है, वह संख्यात भागवृद्धि है। 4. संख्यातगुणवृद्धिः – संख्यात गुणों में संख्यात पर्याय का उत्पाद होना, संख्यात गुणवृद्धि है। 5. असंख्यातगुणवृद्धिः – असंख्यात गुणों में असंख्यात पर्याय का उत्पाद होना, असंख्यात गुणवृद्धि है। 6. अनंतगुणवृद्धिः – अनंत गुणों में अनन्त पर्यायों का उत्पाद होना, अनंतगुणवृद्धि है। इसी वृद्धि के समय षड्स्थान हानि भी होती है। यथा - अनंतभागहानिः – अनंत गुणों की अपेक्षा एक-एक गुण की पर्याय का व्यय । असंख्यातभागहानिः – असंख्यात गुणों की एक-एक पर्याय का व्यय । 3. संख्यातभागहानिः – संख्यात गुणों की एक-एक पर्याय का व्यय । ___संख्यातगुणहानिः – संख्यात गुणों की संख्यात पर्यायों का व्यय । ___ असंख्यातगुणहानिः – एक गुण की पर्याय के व्यय की अपेक्षा असंख्यात गुणों की असंख्यात पर्याय का व्यय । 6. अनंतगुणहानिः – एक गुण की पर्याय के व्यय की अपेक्षा अनन्त गुणों की पर्याय का व्यय। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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