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________________ 424 जीवद्रव्य की आठ प्रकार की पर्यायें - 1. शुद्ध द्रव्य व्यंजन पर्याय : ग्रन्थकार ने द्रव्य की पर निमित्त के बिना होनेवाली स्थायी पर्याय को शुद्ध द्रव्य व्यंजन पर्याय कहा है। जैसे – जीव की सिद्धत्व पर्याय । सिद्धत्व जीव द्रव्य की पर्याय होने से द्रव्य पर्याय है। कालस्थायी होने से व्यंजनपर्याय है तथा कर्म या शरीर आदि पुद्गल द्रव्यों के निमित्त के बिना क्षायिकभावजन्य स्वभाविक पर्याय होने से शुद्ध पर्याय है। 226 दिगम्बर परम्परा में शुद्ध द्रव्य व्यंजनपर्याय की परिभाषा किंचित् भिन्न प्रकार से की गई है। सिद्ध जीवों का चरम शरीर से किंचित् न्यूनाकार, स्वभाव द्रव्य व्यंजन पर्याय है।1227 कर्मों से मुक्त बने जीव के प्रदेशों का, अन्तिम शरीर से न्यून आकार में निश्चल रूप से स्थित होना जीव की शुद्ध द्रव्य पर्याय है।1228 जीव की इस सिद्ध अवस्था में कोई परनिमित्त नहीं होता है। इसलिए यह शुद्ध द्रव्य व्यंजन पर्याय है।1229 ज्ञातव्य है कि पुद्गल परमाणु को छोड़कर शेष द्रव्यों में पर्याय परिणमन अन्य द्रव्यों के निमित्त से एवं क्षणिक ही होता है। अतः उनकी शुद्ध द्रव्य व्यंजन पर्याय नहीं होती है। शुद्ध व्यंजन पर्याय मात्र पुद्गल परमाणु एवं मुक्त आत्मा की होती है। 2. अशुद्ध द्रव्य व्यंजन पर्याय : द्रव्य की परनिमित्त से होनेवाली दीर्घकालवर्ती पर्याय को अशुद्ध द्रव्य व्यंजन पर्याय कहा है। इस पर्याय को स्पष्ट करने के लिए ग्रन्थकार ने मनुष्य, देव, तिर्यंच, नारक आदि के उदाहरण दिये हैं। जीव की उक्त पर्यायें कर्म-शरीर रूप पुद्गल 1226 शुद्ध द्रव्य व्यंजन तिहां, चेतनइं सिद्ध । ...... द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 14/3 उत्तरार्ध 1227 स्वभाव द्रव्य व्यंजन पर्यायाः चरम शरीरात् किंचित् न्यून सिद्ध पर्यायः ........... आलापपद्धति, सू. 22 1228 माइल्लधवल कृत नयचक्र, गा. 24 1229 परमात्मप्रकाश, गा. 57 की टीका Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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