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________________ क्र. 1. 2. 3. 4. 5. 6. 788 7. 8. 9. विशेष गुणों के नाम ज्ञान दर्शन सुख वीर्य स्पर्श रस गन्ध वर्ण गतिहेतुता स्थिति 10 11 अवगाहनहेतुता वर्तना 12 13 14 15 16 चेतनत्व अव मूर्त अमूर्तत्व कुल विशेष गुण धर्मास्तिक Jain Education International X X X X X X X X 1 X X X X 1 X 1 3 16 विशेष गुणों का यंत्र अधर्मास्तिका X X X X X X X X X 1 X X X 1 X 1 3 आकाशास्तिकाय X X X X X X X X X X 1 X X 1 X 1 3 कालद्रव्य For Personal & Private Use Only X X X X X X X X X X X 1 X 1 X 1 3 पुद्गलास्तिकाय X | × × X X X 1 1 1 1 X X X X X 1 1 X 6 जीवास्तिकाय 1 1 1 1 X X X X X X X X 1 X X 1 6 375 कुल द्रव्य 1 द्रव्य 1 द्रव्य 1 द्रव्य 1 द्रव्य 1 द्रव्य 1 द्रव्य 1 द्रव्य 1 द्रव्य 1 द्रव्य 1 द्रव्य 1 द्रव्य 1 द्रव्य प्रत्येक द्रव्य में उपरोक्त गुणों की गणना स्थूल व्यवहारनय की अपेक्षा से की गई है। क्योंकि जीव में ज्ञान आदि चार ही विशेषगुण हैं या पुद्गल आदि में वर्ण आदि चार ही विशेषगुण हैं ऐसा एकान्तरूप से स्वीकार कर लेने पर 'अष्टौसिद्धगुणाः, एकत्रिंशत् सिद्धादिगुणाः इत्यादि सूत्रपाठों के साथ संगति नहीं बैठ सकती है। शास्त्रों में सिद्ध परमात्मा के अष्टकर्मों के क्षय से केवलज्ञान, केवलदर्शन, अव्यावाधसुख, क्षायिकचारित्र, अक्षयस्थिति, अरूपी, अगुरुलघु और अनंतवीर्य ऐसे आठ गुण तथा स्पर्शरहित रूपरहित, गंधरहित इत्यादि 31 गुण भी बताये गये हैं । पुद्गल 1 द्रव्य 5 द्रव्य 1 द्रव्य 5 द्रव्य www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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