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________________ 223 एवं पर्याय द्रव्य के आश्रित हैं। जैसे जीव द्रव्य में ज्ञान आदि गुण आश्रित होकर रहते हैं। मनुष्य आदि पर्याय जीव द्रव्य में घटित होती है। वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्शादि गुण पुद्गल में रहते हैं। घट, मुकुट आदि पुद्गलद्रव्य की विभिन्न पर्याय हैं। द्रव्य, गुण और पर्याय में परस्पर आधेय आधार सम्बन्ध होने से ये तीनों परस्पर भिन्न है। पुनः द्रव्य का लक्षण सत् है। गुण का लक्षण सहभावी और पर्याय का लक्षण क्रमभावी है। द्रव्य, गुण और पर्याय के नाप और प्रकारों की संख्या भी भिन्न-भिन्न है।77 पुनः सहभावित्व और क्रमभावित्व लक्षण के आधार पर गुण और पर्याय भी परस्पर भिन्न है परन्तु द्रव्यार्थिकनय की दृष्टि में गुण, पर्याय से भिन्न नहीं है। जीव के ज्ञानादिगुण, मतिज्ञान आदि पर्याय से भिन्न नहीं होते हैं, उसी प्रकार रूपादि गुण, रक्त, पीत, नील आदि वर्गों से भिन्न नहीं होते हैं। एक ओर अभेदग्राही-द्रव्यार्थिकनय की अपेक्षा से द्रव्य-गुण-पर्याय का पारस्परिक सम्बन्ध कथंचित् अभिन्न है। दूसरी ओर भेदग्राही पर्यायार्थिकनय के अनुसार इनका पारस्परिक सम्बन्ध कथंचित् भिन्न है। विभिन्न नयों के आधार पर द्रव्य गुण और पर्याय कथंचित् भिन्न, कथंचित् अभिन्न दोनों होने से इनका पारस्परिक सम्बन्ध कथंचित् भिन्नाभिन्न रूप है।578 -----000 577 पर्यायार्थनयथी सर्व वस्तु द्रव्यगुणपर्याय, लक्षणइं कथंचिद् भिन्न ज छइ . द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 4/10 का टब्बा 578 पर्यायारथ भिन्न वस्तु छइ, द्रव्यारथइ अभिन्नो रे क्रमइ उभय नय जो अपीजइ, तो भिन्न नइं अभिन्नो रे ............ द्रव्यगुणपयार्यनोरास, गा. 4/10 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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