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विषय सूची
1 - 79
प्रथम अध्याय – विषय प्रवेश
1. ग्रन्थ का स्वरूप 2. द्रव्यगुणपर्यायनोरास का दार्शनिक स्वरूप 3. जैन दार्शनिक साहित्य में प्रस्तुत ग्रन्थ का स्थान और महत्त्व 4. ग्रन्थ की विषयवस्तु और उसकी उपादेयता 5. ग्रन्थकार उपाध्याय यशोविजयजी का व्यक्तित्व 6. ग्रन्थकार उपाध्याय यशोविजयजी का कृतित्व 7. यशोविजयजी के दार्शनिक कृतियों में प्रस्तुत कृति की विशेषता
80-223
द्वितीय अध्याय - वस्तु तत्त्व के विवेचन की जैन शैली – अनेकांतवाद और नयवाद (अ) जैनदर्शन का आधार अनेकांतवाद
अनेकान्तवाद का विकास वेद और उपनिषदों में अनेकान्तदृष्टि के संकेत बौद्ध साहित्य में अनेकान्तदृष्टि जैनागम में अनेकान्तदृष्टि वस्तु की अनन्त धर्मात्मकता वस्तु अनेकान्तिक है ज्ञान और अभिव्यक्ति की सीमितता भाषा की सीमितता और सापेक्षता अनेकान्त की अपरिहार्यता
(ब) स्याद्वाद और सप्तभंगी -
1. प्रथम भंग : स्याद् अस्ति 2. द्वितीय भंग : स्याद् नास्ति
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