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इसके अतिरिक्त उन सभी महापुरूषों, जैन-जैनेतर ग्रंथकारों, विचारकों, लेखकों, गुरूजनों के प्रति भी हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ जिनके द्वारा रचित ग्रंथों का अध्ययन और मनन करके मैंने अपने शोध ग्रन्थ को नवीन आकार दिया है।
____ मैं इन सुखद क्षणों में मीनाक्षी बरडिया का श्रद्धासमर्पण और समय-समय पर दिया गया अपूर्व सहयोग को भी विस्मरण नहीं कर सकती हूँ।
राजा 'जी'. ग्राफिक्स, शाजापुर के श्री शिरीष सोनी के प्रति भी आभार ज्ञापित करती हूँ, जिन्होंने प्रस्तुत ग्रन्थ का कम्प्यूटराईज्ड टंकण कर इसे पूर्णता प्रदान करने में सहयोग प्रदान किया।
अन्त में इस शोध-ग्रन्थ प्रणयन में जिनका भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहयोग प्राप्त हुआ है, उन सभी आत्माओं के प्रति मंगलकामना ज्ञापित करती हूँ।
जिगर नहोजना -साध्वी प्रियस्नेहांजना श्री
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