SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 367
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 342 मोक्षमार्ग में उद्यमशील साधक को ये लब्धियाँ या ऋद्धियाँ सहज ही प्राप्त होती हैं। वह इनके लिए कोई प्रयत्न नहीं करता है। इन लब्धियों का स्वरूप इस प्रकार है - ___अणिमा अर्थात् अणुरूप, छोटा शरीर बना लेना। इस ऋद्धि के प्रभाव से अपनी देह को इतना सूक्ष्म यानी छोटा बनाया जा सकता है कि वह सरलता से कमल-तन्तु के छिद्र में प्रवेश कर सकता है। लघिमा, अर्थात् लघुरूप, हल्कापन। इसके बल से देह को हवा (वायु) से भी अधिक हल्का-फुल्का बनाया जा सकता है। महिमा, अर्थात् महत्व, इसका दूसरा अर्थ है –भारीपन या बड़ापन। इस लब्धि के संयोग से शरीर को मेरुपर्वत के समान या उससे भी ज्यादा बड़ा बनाया जा सकता है। प्राकाम्यऋद्धि के प्रभाव से इच्छानुसार जमीन या जल पर चला जा सकता है। जंघाचारणऋद्धि के सामर्थ्य से चन्द्र-सूर्यादि के विमानों की किरणों तथा वायुवेग की चपेट से युक्त किसी भी पदार्थ का सहारा लेकर गगन में उड़ने अथवा चलने की शक्ति प्राप्त होती है। जिस तरह जमीन पर चलते हैं, उसी तरह आकाश में भी चलने की जो शक्ति है, उसको आकाशगतिचारणऋद्धि कहते हैं। ... आकाश-गमन के समय पर्वतों के बीच अप्रतिबन्धता से गमन करने का सामर्थ्य अप्रतिघातीऋद्धि से मिलता है। अन्तर्धानऋद्धि के प्रभाव से अदृश्य होने की शक्ति प्राप्त होती है। जिसके सामर्थ्य से नानाविध रूप धारण करने की शक्ति मिलती है, उसे कमरूपिताऋद्धि कहा जाता है। जिस ऋद्धि से दूरस्थ इन्द्रियों के विषयों को ग्रहण कर लिया जाता है, उस ऋद्धि का नाम दूरश्रावीऋद्धि है। एक साथ अलग-अलग बहुत-से विषयों को जान लेने की ऋद्धि का नाम संभिन्नज्ञानऋद्धि है। कोष्ठबुद्धित्व, बीजबुद्धित्व आदि ज्ञान की ऋद्धियाँ मानी जाती हैं और क्षीरासवित्व, मध्वासवित्व, वादित्व आदि वाचिक-ऋद्धियाँ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003973
Book TitleJinbhadragani Krut Dhyanshatak evam uski Haribhadriya Tika Ek Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyashraddhanjanashreeji
PublisherPriyashraddhanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages495
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy