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________________ सम्यग्ज्ञान ज्ञान के बिना सम्पूर्ण विश्व शून्य है, ज्ञानियों के ज्ञान के अभाव में जीवन 6 को पशुवत् बताया है! "ज्ञान बिना पशु ए नर जाने किशुं ए।" इन पंक्तियों से यह ज्ञात होता है कि ज्ञान के अभाव में व्यक्ति पशुतुल्य माना गया है, अर्थात् वह उचित-अनुचित का ज्ञान नहीं कर पाता । दशवैकालिक सूत्र में कहा गया है कि 'पढमंनाणं तवो दया'अर्थात् प्रथम ज्ञान के पश्चात् दया । ' एसे ज्ञान को सभी दर्शन स्वीकार करते हैं, ज्ञान को आत्मा अस्तित्व के आधार के रूप स्वीकार करते हैं, क्योंकि ज्ञान सभी में है । व्यक्ति ज्ञान के द्वारा ही अपना भला-बुरा, हित-अहित जान सकता है। ज्ञान से ही ज्ञात कर सकता है कि त्याग करने योग्य क्या है ? जानने योग्य क्या है ? और ग्रहण करने योग्य क्या है ? जैनदर्शन ज्ञान को महत्व देता है, परन्तु कौन से ज्ञान को स्थान देता है ? जो शाश्वत का बोध कराता हो, वह ज्ञान है। ज्ञान तो सत्य का बोध करवाता है, जैसे पुत्र को पुत्र ही कहता है, माँ को माँ ही कहता है, पर आत्मा को आत्मा कहना, जो स्वप्रकाशक हो, ज्ञानावरणीय - कर्म का क्षयोपशम क्षय करने वाला हो, वही 'सम्यग्ज्ञान' है । सम्यग्ज्ञान एक ऐसा प्रकाश है जिसके आने पर कोई भी शक्ति उसके प्रकाश का प्रतिघात नहीं कर सकती है। सूर्य का प्रकाश अन्य समय एवं अल्पक्षेत्र तक सीमित है, किन्तु सम्यग्ज्ञान का प्रकाश दीर्घसमय एवं सम्पूर्ण क्षेत्र को प्रकाशित करता है । ज्ञान दो प्रकार का है (1) सम्यग्ज्ञान और (2) मिथ्याज्ञान । इन्हें यथार्थ और अयथार्थ ज्ञान भी कहते हैं । सम्यग्ज्ञान के मुख्यतः पाँच भेद प्रसिद्ध हैं - अवधिज्ञान 4 मनः पर्यवज्ञान और 5 केवलज्ञान । 1. मतिज्ञान पाँच इन्द्रिय और मन के द्वारा जो ज्ञान होता है, उसे मतिज्ञान कहते हैं । - Jain Education International 2. श्रुतज्ञान पाँच इन्द्रिय और मन के द्वारा जो बोध होता है, उसे श्रुतज्ञान कहते हैं । — ' सज्जनजिनवन्दनविधि – समयसुन्दरजी - ज्ञानपंचमीस्तवनगाथा - 4 7 दशवैकालिक - गाथा 9 - अध्याय - 4 1 मतिज्ञान 2 श्रुतज्ञान 3 For Personal & Private Use Only 76 www.jainelibrary.org
SR No.003972
Book TitlePanchashak Prakaran me Pratipadit Jain Achar aur Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji
PublisherKanakprabhashreeji
Publication Year2013
Total Pages683
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
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