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8 वीं शती 8 वीं शती
षोडशकप्रकरण
हरिभद्रसूरि धर्मबिन्दु
हरिभद्रसूरि अष्टकप्रकरण
हरिभद्रसूरि श्रावकप्रज्ञप्ति
आ. हरिभद्र पंचवस्तुक
हरिभद्रसूरि समाचारी
श्री जिनदत्तसूरि संवेगरंगशाला
जिनचन्द्रसूरि प्रवचनसारोद्धार
नेमिचन्द योगशास्त्र
हेमचन्द्राचार्य सागारधर्मामृत
पं. आशाधर पंचविंशतिकागत श्रावकाचार मुनि पद्मनन्दि गुणभूषण श्रावकाचार गुणभूषण गुरूवन्दनभाष्य
देवेन्द्रसूरि विवेक विलास
जिनदत्तसूरि पूज्यपाद श्रावकाचार
पूज्यपाद देवनन्दि व्रतसार श्रावकाचार
अज्ञातकृत श्राद्धदिनकृत्य
श्रुतधर आचार्य उमास्वामी श्रावकाचार आ. उमास्वामी साधुचर्या तथा जिनपूजा का संकलित महत्त्व विधिसंग्रह
प्रमोदसागरसूरि
8 वीं शती 8 वीं शती 8 वीं शती 12 वीं शती 11 वीं शती वि.सं. 1216 12 वीं शती 13 वीं शती 14 वीं शती 14 वीं शती 13 वीं शती 13 वीं शती 6 टी शती 16 वीं शती 16 वीं शती
अज्ञात
20 वीं शती
20वीं शती
5. प्रत्याख्यान पंचाशक -
जैन धर्म में साधना का प्रारम्भ संवर से होता है। संवर का प्रारम्भ ही प्रत्याख्यान से होता है। साधनापरक जीवन का आधार प्रत्याख्यान है। प्राचीन आचार्यों एवं
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