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________________ ककड़ी नारंगी ज्वार सुआभाजी पपीता, | सुपारी चकोतरा, खुमानी, सेव | चीकू, जामुन । सौंफ शहतूत लौंग बाजरा मैथी भाजी चन्दलिया | मक्का कौद्रव जौ भाजी, सींगफल मैं प्रतिदिन चौदह नियम, अर्थात् भोग-उपभोग की वस्तुओं की मर्यादा धारण करूँगा/ करूँगी- ऐसा संकल्प लेता हूँ/ लेती हूँसचित्त- | उपानह कुसुम विलेपन | स्नान अपकाय द्रव्य | तांबूल वाहन ब्रह्मचर्य | भात-पानी | तेउकाय विगय वस्त्र रायन दिशा | पृथ्वीकाय | वायुकाय वनस्पतिकाय | त्रसकाय असि मसि कृषि अतिचार - आचार्य हरिभद्र ने पंचाशक-प्रकरण में श्रावक के दूसरे गुणव्रत में भोजन-आश्रित पांच अतिचारों का वर्णन किया है, जो निम्न हैं ___ सचित्त, सचित्त-सम्बद्ध, अपक्व, दुष्पक्व और तुच्छ।' उपासकदशांग मूल में एवं उसकी टीका में भी आचार्य अभयदेवसूरि ने इसी प्रकार के अतिचारों का कथन किया है, जो पंचाशक-प्रकरण के अनुसार ही हैं। पंचाशक-प्रकरण - आ. हरिभद्रसूरि- 1/22 - पृ. -9 उपासकदशांगटीका - आ. अभयदेवसूरि- 1/51 - पृ. - 46 'तत्त्वार्थ-सूत्र - आ. उमास्वाति-7/30 277 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003972
Book TitlePanchashak Prakaran me Pratipadit Jain Achar aur Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji
PublisherKanakprabhashreeji
Publication Year2013
Total Pages683
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
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