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तृतीय अध्याय : पंचाशकप्रकरण में श्रावक धर्म
लं
आचार्य हरिभद्र के अनुसार श्रावक का स्वरूप और उसके कर्त्तव्य - (अ) श्रावक के द्वादश व्रत
अहिंसाणुव्रत सत्याणुव्रत अचौर्याणुव्रत स्वपति-संतोषव्रत
परिग्रह-परिमाणव्रत 6. . दिशा-परिमाणव्रत 7. भोगोपभोगपरिमाणव्रत 8. अनर्थदण्डविरमव्रत
सामायिकव्रत
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पौषधव्रत
देशावगाशिक व्रत 12. अतिथिसंविभागवत
उपासक प्रतिमा विधि :14. श्रावकाचार का तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन (अ) ग्यारह प्रतिमाओ का स्वरूप - (ब) प्रतिमाओं की वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता - (स) व्रत-विवेचन में हरिभद्र का वैशिष्ठच (द) व्रत-व्यवस्था की प्रासंगिकता
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