________________
अन्य मनोवैज्ञानिक कर्टलेविन ने इन्हें आकर्षण शक्ति (Positive Valence) और विकर्षण शक्ति (Negative Valence) के रूप में बताया है।
इस प्रकार, हम देखते हैं कि विभिन्न धर्मदर्शन और आधुनिक मनोविज्ञान में दोनों के व्यवहार के प्रेरक-तत्त्वों की चर्चा की है, जिसे जैनधर्म-दर्शन संज्ञा के नाम से अभिप्रेरित करते हैं।
---------000----------
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org