SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 301
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 275 पूंजीवादी विचार - उत्पादन के व्यक्तिगत स्वामित्व का समर्थन करता है। वहीं समाजवादी विचार - उत्पादन और वितरण के कार्यों को राज्य के हाथों में सौंपता है। ऐसी व्यवस्था में व्यक्ति की स्वाभाविक उत्पादन की प्रेरणा समाप्त हो जाती है तथा वह अपनी सारी स्वतंत्रता खोकर यंत्रवत् जीवन व्यतीत करता है। इन दोनों से भिन्न एक तीसरे प्रकार का दृष्टिकोण भी है। जिसमें आर्थिक जीवन को तिरस्कृत कर आध्यात्मवादी जीवन व्यतीत करने की आकांक्षा है। वास्तव में यह पलायनवादी विचार है, जिसका आधार सन्यासवाद ही है। ट्रस्टीशिप के सिद्धांत में गांधीजी ने ऊपर के तीनों सिद्धान्तों की बुराईयों का परित्याग कर उनकी अच्छाईयों को ग्रहण किया है। गाँधीवाद में अपरिग्रह का व्रत 'ट्रस्टीशिप' (न्यास सिद्धान्त) के रूप में विकसित हुआ। जिसका अर्थ है, अपनी जरूरत की चीजों को रखने में भी स्वामित्व भाव नहीं रहना चाहिए। मनुष्य अपनी जरूरत की चीजें तो रखें लेकिन उस पर अपना स्वामित्व नहीं माने।98 गांधीजी के अनुसार संसार की सभी वस्तुओं का वास्तविक मालिक ईश्वर है। उसने विश्व का सृजन किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं किया, बल्कि समस्त प्राणियों के लिए किया है। वह सर्वशक्तिमान होते हुए भी संग्रह नहीं करता है। 100 मनुष्य उसी ईश्वर का एक छोटा-सा रूप है, अतः उसे भी उत्पादन समाज-हित की भावना से करना चाहिए, स्वार्थ की भावना से नहीं। ईश्वर की भांति ही उसे भी भविष्य के लिए संग्रह नही करना चाहिए। अपनी आवश्यकता की पूर्ति के बाद जो धन बच जाए उसे अपना नहीं मानकर समाज का मानना चाहिए तथा उस संपत्ति का सदुपयोग समाजहित और राज्यहित में करना चाहिए।101 यदि इस प्रकार का विचार समाज में रूढ़ हो जाय, तो गांधी का यह दृढ़ विश्वास है कि समाज में आर्थिक विषमता मिटकर रहेगी। 98 सर्वोदय दर्शन, पृ 281-82 9 Harijan, 23/2/47. P. 39 100 Ibid, P.39 101 Young India, PP. 368-69 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003971
Book TitleJain Darshan ki Sangna ki Avdharna ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramuditashreeji
PublisherPramuditashreeji
Publication Year2011
Total Pages609
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy