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________________ 170 दूसरी ओर, –'वेद्यते इति वेदः 76 इस सूत्र के द्वारा वेद शब्द का अर्थ अनुभूति (वासना) या संवेदना भी बताया गया है। इस आधार पर स्त्री, पुरुष आदि की काम सम्बन्धी आकांक्षाओं को भी वेद माना जाता है। वेद जैनदर्शन का एक पारिभाषिक शब्द है, जिसका अर्थ मैथुन की आकांक्षा है जो मोहनीयकर्म के कर्मदलिकों से उत्पन्न होता है। इस अर्थ में स्त्री, पुरुष आदि से मैथुन करने की आकांक्षा का उत्पन्न होना ही वेद है।" लिंग और वेद में अन्तर यह है कि लिंग शारीरिक संरचना है और वेद तत्सम्बन्धी कामवासना है। योगीराज श्री आनंदघनजी कृत मल्लिनाथ स्तवनावली में भी वेद शब्द का अर्थ कामवासना की इच्छा से लिया गया है। दूसरे शब्दों में कामवासना का अनुभव होना ही वेद है। स्त्रीवेद, पुरुषवेद एवं नपुंसकवेद के भेद से यह तीन प्रकार का होता है। यहाँ वेद शब्द स्त्री, पुरुष आदि के बाह्यलिंग अर्थात् दैहिक-संरचना का द्योतक नहीं है। बाह्यलिंग तो शरीर नाम कर्म का फल है। वेद मोह-कर्म के उदय का परिणाम है। यह अवश्य है कि बाह्यलिंग से स्त्री, पुरुष एवं नपुंसक की पहचान होती है, तथा वेद से उसका गहरा सम्बन्ध भी है। प्रायः, स्त्रीलिंग में स्त्रीवेद, पुरुषलिंग में पुरुषवेद तथा नपुंसकलिंग में नपुंसकवेद पाया जाता है। वेद की तृप्ति का साधन लिंग है। नौवें गुणस्थान के बाद तीन वेदों में से किसी का भी उदय नहीं रहता है। किन्तु लिंग का शारीरिक-लक्षण या लिंग की सत्ता बनी रहती है। वीतराग आत्मा के वेद का क्षय हो जाता है, किन्तु शरीर के साथ लिंग बना रहता है। श्वेताम्बर जैनों की मान्यता है कि तीन लिंगों में से किसी के भी रहते हुए वीतराग–अवस्था प्राप्त हो 76 प्रज्ञापनासूत्र, वृ.प. 468-469 77 भगवई विआहपण्ण्ती , –आचार्य महाप्रज्ञ, पृ. 258 78 वेदोदय कामपरिणामा काम्यकर्म सहु त्यागी, निःकामा करूणारससागर, अनंत चतुष्क पद पागी। श्री आनंदघनजी भ. मल्लिनाथ स्तवन, गा.-7 " तिविहे वेए पण्णते, तं जहा –(1) इत्यिवेए (2) पुरिसवेए (3) नपुंसगवेए। – समवायांगसूत्र-156 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003971
Book TitleJain Darshan ki Sangna ki Avdharna ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramuditashreeji
PublisherPramuditashreeji
Publication Year2011
Total Pages609
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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