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जैन दर्शन की संज्ञा की अवधारणा का समीक्षात्मक अध्ययन
अध्याय -4 मैथुन संज्ञा ।
1. कामवासना का स्वरूप और लक्षण 2. कामवासना के प्रकार 3. जैनदर्शन की वेद (कामवासना) और लिंग (शारीरिक संरचना) की
अवधारणा 4. जैनदर्शन की मैथुन संज्ञा की फ्रायड के लिबिडो से तुलना एवं
समीक्षा 5. कामवासना के दमन एवं निरसन के संबंध में जैन दृष्टिकोण 6. व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास और कामवासना 7. वासना-जय की प्रक्रिया और ब्रह्मचर्य की साधना
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