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निकालकर अचेतन में डाल देता है। तनाव उत्पन्न करने वाली इच्छाओं आंकाक्षाओं को जो पूरी नहीं हो सकती, उन्हें दबाने का या अचेतन में डालने का प्रयास करता है, ताकि वह किसी दूसरे कार्य में ध्यान दे सके।" अरूणकुमार सिंह कहते है कि -"दमन में व्यक्ति अपनी इच्छाओं एवं यादों से ही अवगत नहीं हो पाता है, वे गहरी विस्मृति में चली जाती है। किन्तु दमन में व्यक्ति को यह पता नहीं होता है कि वह कौन-कौन सी इच्छाओं एवं यादों को चेतन से अलग कर चुका है। 92 दमन चेतना के स्तर से अचेतन में भेजने का प्रयास है, जबकि दमन चेतना के स्तर से निकाल देने का प्रयत्न है। यद्यपि विस्मरण दोनों में ही होता है, किन्तु एक में ये इच्छाएँ अचेतन में बनी रहती है जबकि दूसरे में निर्मूल हो जाती है। (आई) प्रक्षेपण :- तनाव को कम करने के लिए व्यक्ति अपनी गलतियों का, अपनी असफलताओं का जिम्मेदार किसी दूसरे व्यक्ति को या परिस्थितियों को बताता है। किसी दूसरे पर आरोप लगाने से उसे सन्तुष्टि एवं शांति मिलती है। व्यक्ति स्वयं की गलतियों को स्वीकार न करके अपने आप को दोष मुक्त समझता है। जिससे उसे आत्म-संतोष उत्पन्न होता है और तनाव कम होता है, जैसे – छात्र परीक्षा में असफलता प्राप्त करने पर अपने तनाव को यह कहकर कम करता है कि शिक्षक ने ठीक ढंग से पढ़ाया नहीं या घरेलू प्रतिकूलताओं के होने के कारण परीक्षा की अवधि में वह अधिक चिन्तित था।
(जे) क्षतिपूर्ति :- बाह्य हानि से व्यक्ति को मानसिक क्षति भी होती है। जब तक उस हानि या नुकसान की क्षतिपूर्ति नहीं होती है तब तक वह मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होता है। तनाव को कम या समाप्त करने के लिए व्यक्ति को अन्य साधनों से उसकी क्षतिपूर्ति करने का प्रयास करना चाहिए। तनाव. का कारण चाहे जो भी हो, वह व्यक्ति शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को
92 आधुनिक असामान्य मनोविज्ञान - अरूणकुमार सिंह, पृ. 263
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