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है। जैसे -बालक अपने पिता से व बालिका अपनी माता से तादात्म्य स्थापित करके उनके कार्यों का अनुकरण करके प्रसन्न होते हैं, जिससे उनका तनाव कम होता है।
(एफ) निर्भरता :- जब व्यक्ति अपना जीवन यापन नहीं कर पाता है, तो उसमें एक हीनता की भावना उत्पन्न होती है, उसमें निर्णय लेने की क्षमता भी क्षीण होती जाती है, ऐसे में व्यक्ति तनाव कम करने के लिए अपने आपको किसी दूसरे पर निर्भर कर अपने सम्पूर्ण जीवन का दायित्व उसे सौंप देता है, जैसे - इस प्रकार के व्यक्ति महात्माओं के शिष्य बनकर उनके आदेशों व उपदेशों का पालन कर जीवन-यापन करते हैं ।
(जी) औचित्य स्थापना :- जब व्यक्ति कोई गलत कार्य या गलत व्यवहार करता है और दूसरे व्यक्ति उस पर आरोप लगाते है तब वह व्यक्ति अपने कार्य व व्यवहार का युक्ति से या तर्क से औचित्य स्थापना कर अपने तनाव को कम करता है। मनोवैज्ञानिक अरूणकुमार सिंह कहते हैं कि इस विधि से दो उद्देश्यों की पूर्ति होती है - "पहला तो यह कि व्यक्ति लक्ष्य पर पहुँचने में असमर्थ रहता है, तो जब इससे उत्पन्न कुंठा की गंभीरता को योक्तिकरण के द्वारा कम कर देता है तथा दूसरा यह कि औचित्य स्थापना के द्वारा व्यक्ति अपने द्वारा किए गए व्यवहार के लिए एक स्वीकार्य अभिप्रेरक प्रदान करता है ।" इस विधि के अन्तर्गत व्यक्ति ऐसे तर्क देता है जिनको उपेक्षित नहीं किया जा सकता है। ऐसा करके वह व्यक्ति अपने आप को संतुष्ट कर अपना मानसिक तनाव कम करता है, जैसे कोई कर्मचारी कार्यालय में देर से पहुँचने पर यह कहता है कि ट्रैफिक जाम था ।
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(एच) दमन दमन का अर्थ है दबाना । इसमें जब तनाव के कारण व्यक्ति चिन्ताओं, पुरानी स्मृतियों आदि से परेशान हो जाता है, या मानसिक रूप से वे अधिक कष्टकर प्रतीत होती हैं, तो वह उन चिन्ताओं को चेतन से
'आधुनिक असामान्य मनोविज्ञान, अरुणकुमार सिंह, पृ. 263
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