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उत्पन्न करने वाली परिस्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए समस्या का विकल्प ढूँढता है। 90
(स) अन्य लक्ष्यों का प्रतिस्थापन:- जब मूल लक्ष्य में सफलता प्राप्त नहीं हो पाती है, तो व्यक्ति अपना लक्ष्य ही बदल देता है तथा दूसरे लक्ष्य को निर्मित कर लेता है। व्यक्त्ति को जब ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है, जो उसके नियंत्रण के बाहर है, तो ऐसी स्थिति में वह अपना लक्ष्य बदल देता है। जैसे कोई नर्तकी में अपना व्यक्तित्व बनाने का लक्ष्य रखे, किन्तु किसी हादसे में यदि वह अपना पैर ही खो दे, तो उसे अपना लक्ष्य बदलना होता है। (द) व्याख्या एवं निर्णय :- जब व्यक्ति के सामने दो वांछनीय, पर विरोधी इच्छाएँ होती है तो वह द्वंद्व की स्थिति होती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति स्वयं को तनावग्रस्त पाता है। फलतः तनाव से मुक्त होने के लिए व्यक्ति को पूर्व अनुभव के आधार पर सोच-विचार कर अन्त में किसी एक का चुनाव करने का निर्णय करना चाहिए। जिस प्रकार एडवर्ड अष्टम के समक्ष यह समस्या थी कि वह राजा रहे या मिसेज सिम्पसन से विवाह करे ? तब उन्होंने राजपद का त्याग कर मिसेज सिम्पसन से विवाह करने का निर्णय लिया था।
अप्रत्यक्ष विधियाँ :- अप्रत्यक्ष विधियों का प्रयोग केवल दुःखपूर्ण तनाव को कम करने के लिए किया जाता है। ये विधियाँ निम्न है:
(अ) शोधन :- जब व्यक्ति की काम प्रवृत्ति तृप्त नहीं होती है तो उसका सबसे गहरा असर उसकी मानसिकता पर पड़ता है। व्यक्ति की ये प्रवृत्तियाँ पूर्ण न होने के कारण उसमें तनाव उत्पन्न हो जाता है, तब वह कला, धर्म, साहित्य, समाजसेवा आदि में रूचि लेकर अपने तनाव को कम करता है। व्यक्ति स्वयं ही तनाव के कारण को समझकर अपने मन का शोधन कर लेता है। वह ऐसा कार्य करने लगता है, जो उसे रूचिकर लगता है।
% आधुनिक असामान्य मनोविज्ञान, पृ. 262
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