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________________ 226 दो प्रकार की विधियों का वर्णन किया है। तनाव कम करने की ये विधियाँ व्यक्ति को कुछ समय के लिए या अधिक समय के लिए परिस्थितियों के साथ समझौता करने के लिए या समझौता नहीं करने के लिए प्रस्तुत की गई है, लेकिन इनका उद्देश्य तनाव को कम करना ही है। प्रत्यक्ष विधियाँ :- प्रत्यक्ष विधियों का प्रयोग तनाव कम करने के लिए नहीं, अपितु तनाव को पूर्णतः समाप्त करने के लिए होता है। (अ) बाधा का निवारण :- तनाव तब उत्पन्न होता है जब हमारे उद्देश्य की पूर्ति में कोई बाधा आ जाती है। इस विधि के अन्तर्गत व्यक्ति, उस बाधा का निवारण करने का प्रयत्न करता है और तनाव मुक्त होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है। ___ डॉ. सुधा जैन के आलेख "तनाव : कारण एवं निवारण' में इसका उदाहरण देते हुए लिखा गया है कि -"जैसे एक हकलाने वाला व्यक्ति अपने दोष से मुक्त होने के लिए मुंह में पान रखकर बोलने का प्रयास करके उसमें सफलता प्राप्त करता है। 89 (ब) अन्य उपाय की खोज :- इस विधि के अनुसार व्यक्ति जब उद्देश्य प्राप्ति में आने वाली बाधा का निवारण नहीं कर पाता है, तो वह कोई ऐसा दूसरा उपाय खोजने लगता है, जिसमें उसे सफलता मिल सके। व्यक्ति का उद्देश्य तो वही रहता है, सिर्फ वह रास्ता बदल देता है। जैसे जब द्रोणाचार्य ने एकलव्य को शिष्य बनाने से इनकार कर दिया, तब एकलव्य ने उनकी प्रतिमा बनाकर उसे गुरू माना और अपने लक्ष्य की प्राप्ति की।" अरूणकुमार सिंह के शब्दों में -“जब व्यक्ति किसी तनावपूर्ण घटना पर अपना नियंत्रण कायम करने में सफल होता है, तो इसमें तनाव की गंभीरता अपने आप कम हो जाती है। व्यक्ति तनाव 87 Gates and other - Education Psychology, P. 692 88 श्रमण, डॉ सुधा जैन, जनवरी-मार्च, 1997, पृ. 9 ४७ श्रमण, डॉ. सुधा जैन, जनवरी-मार्च 1997, पृ. 10 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003970
Book TitleJain Dharm Darshan me Tanav Prabandhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherTrupti Jain
Publication Year2012
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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