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मानसिक विधियां
___मन हमारे भीतर की वह शक्ति हैं, जिसकी सहायता से रागी भी वीतरागी बन सकता है। समग्र संकल्प, इच्छाएँ, कामनाएँ एवं राग-द्वेष की वृतियाँ मन में ही उत्पन्न होती है और मन में ही शांत होती है! मन सद्-असद् का विवेक करता है। मन में ही तनाव पैदा होता है और मन ही हमें तनाव से मुक्त कर सकता है, ठीक वैसे ही जैसे लोहा ही लोहे को काटता है। मैत्राण्युपनिषद में लिखा है कि मन ही बंधन और मुक्ति का कारण है। 76 जैनदर्शन में भी बंधन
और मुक्ति की दृष्टि से मन की अपार शक्ति मानी गई है।" मन की एक अवस्था है चंचलता, तो मन की दूसरी अवस्था है शांति। चंचलता एवं एकाग्रता चेतना की अवस्थाएं है। मन ही निराश होता है और मन ही आशान्वित होता है। मन ही अशांत होता है, अशांत मन में ही तनाव होते हैं और शांत मन तनावमुक्त होता है, मन ही हमें कमजोर बनाता हैं, और मन ही शक्ति सम्पन्न बनाता है। अगर हम मन की सकारात्मक शक्ति को बढ़ा लें, तो मन ही अमन हो जाएगा। मन ही तनाव ग्रस्त करता है और मन ही तनाव मुक्त करता है। तनावमुक्त मन के लिए निम्न मानसिक विधियां है। इन विधियों के माध्यम से व्यक्ति की मनोदशा में कुछ परिवर्तन करने के लिए उसकी इच्छा शक्ति का विकास किया जाता है। वे विधियां निम्न है:
1. एकाग्रता 2. योजनाबद्ध चिन्तन 3. सकारात्मक सोच
1. एकाग्रता :- जिस प्रकार शारीरिक व्यायाम से शरीर की शक्ति में वृद्धि होती है, उसी प्रकार एकाग्रता का अभ्यास करने से मानसिक तनाव समाप्त करने में मन को शक्ति मिलती है। शक्तिशाली मन जीवन की कठिनाईयों से
7० मैत्राण्युपनिषद् - 4/11 77 जैन, बौद्ध और गीता के आचारदर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, डॉ. सागरमल जैन, पृ. 482
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