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________________ सकता है।" जो व्यक्ति आत्मशुद्धि से महान बनता है, वही पूर्णतः तनावमुक्त होता है। आर्थिक असमानता भी वर्तमान विश्व की एक मुख्य समस्या है, जो पूरे विश्व में तनाव उत्पन्न कर रही है। आर्थिक असमानता के कारण लोगों में संग्रह करने की वृत्ति बढ़ती जा रही है। जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति भौतिक संसाधनों में ही शांति को खोजता है और उसी से ही आनंद प्राप्त करता है। डॉ. सागरमल जैन लिखते हैं कि -"The vast differences in material possession as well as in the modes of consumption have divided the human race into two categories of Haves and have not's."12 इसी कारण व्यक्तियों में ईर्ष्या और द्वेष की भावना उत्पन्न हो गई हैं और ये भावनाएँ उन्हें सदैव तनावग्रस्त रखती हैं। आर्थिक विषमता कैसे व्यक्ति में तनाव उत्पन्न करती है, इसका विस्तार से विवेचन आगे किया गया है। Dr. Sagarmal Jain says that "the basic problems of present society are mental tensions, violence and conflicts of ideologies and faiths."13 आज सिर्फ विश्व के मुख्य राज्यों में ही नहीं अपितु राज्यों के छोटे से छोटे गाँव और शहर के समाज में या परिवारों में भी तनावजन्य स्थिति बढ़ती जा रही है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपनी सोच के अनुसार सत्य को सत्य मानता है और दूसरे की बात का विरोध करता है। उदाहरण के लिए किसी परिवार का एक व्यक्ति किसी का पिता है तो किसी का पति, किसी का बेटा है तो किसी का भाई। व्यक्ति एक ही है किन्तु सभी का अपना-अपना दृष्टिकोण है, कोई भी गलत नहीं है। कहने का तात्पर्य यही है कि वर्तमान में व्यक्ति स्वयं की बात को सही मानता है और दूसरे की बात का विरोध करता है। यह विरोध का भाव प्रत्येक व्यक्ति, समाज और राज्य में तनाव उत्पन्न कर रहा है। सभी स्वयं को ।' आचारांग - 1/2/3/75 "Peace, Religious Harmony and solution of world problems from Jain persepctive. - Prof. Sagarmal Jain, Page 29 "Tbid -------------------- page 31 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003970
Book TitleJain Dharm Darshan me Tanav Prabandhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherTrupti Jain
Publication Year2012
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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