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रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ
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वीर दो वीरों पर यदि सौ कायर टूट पड़े, तो मातहत कायरों को ही होना पड़ेगा।
वृत्ति
वृत्ति मन के सरोवर में उठी लहर है।
नश्वर तत्त्वों के लिए छितराती चित्तवृत्तियां व्यक्तित्व विकास में बाधक है।
वृत्ति-विजय मन की प्रवृत्तियों पर विजय पाने के लिए अहंकार का विसर्जन, तृष्णा का बोधन और माया एवं लोभ का परिशमन अनिवार्य है।
बूढ़ा वह नहीं है, जिसको कमर झुक चुकी है। बूढ़ा वह है, जो मेहनतकशी से जी चुराता है।
वेश वेश से ही जिन्दगी बदल जाती होती, तो सारे गधे शेर की खाल अोढ़ लेते।
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