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रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ
चित्त
चित्त की चंचलता की परीक्षा के लिए ध्यान
२२ ]
कसौटी है ।
चित्त- कालुष्य
कलुषित चित्त कभी अहोभाव प्राप्त नहीं कर
सकता ।
चुनौती
चैतन्य तत्त्व उद्घाटित करने के लिए चुनौतियों का सामना तो करना ही पड़ेगा ।
जन्म और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ।
जन्म-मृत्यु
जल्दबाजी
जल्दबाजी कभी - कभी हानि का कारण बनती है ।
जागृति
किसी को तभी जगाना चाहिये जब जगने के प्रति जिज्ञासा हो ।
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