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________________ [ २१ गृह-शान्ति पारिवारिक झगड़ों को रोकने के लिए उपस्थित होते हुए भी स्वयं को अनुपस्थित समभो । काश, अभी मैं घर में न होता, जो यह सोचकर शान्त रहता है, वह कलह और कोलाहल से कोसों दूर रहता है । रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ गोली वह गोली बेवफा है, जो प्राणी का प्रारण हरती है और वह गोली दवा है, जो मरीज को प्राण लौटाती है । चांटा अगर चांटे का जवाब चाँटे से दिया जाता तो यीशू 'ईसा' न बन पाते । चारित्र - समाधि विषय सुखों से मुँह मोड़कर निष्किचन होने के बाद भी परितुष्ट रहना चारित्र - समाधि है । चारित्र हत्या चारित्र को किताबों की शोभा मात्र मानकर जीने वाला व्यक्ति वास्तव में चलता-फिरता शव है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003969
Book TitleRom Rom Ras Pije
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1993
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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